भ्रष्टाचार और घोटाले का भेंट चढ़ा बुलंदशहर का ग्राम पंचायत रंगपुर

भ्रष्टाचार और घोटाले का भेंट चढ़ा बुलंदशहर का ग्राम पंचायत रंगपुर

ग्रामीणों का आरोप फर्जी बिल बनाकर रुपयों की हुई है निकासी बुलंदशहर। उत्तर प्रदेश में योगी सरकार जहां एक तरफ अपनी पीठ थपथपा कर यह जनता के बीच मैसेज दे रही है कि विकास कार्यों में सरकारी फंड के साथ पूरा तंत्र तन मन से लगा हुआ है। वही जमीनी स्तर पर प्रत्येक जिले का

ग्रामीणों का आरोप फर्जी बिल बनाकर रुपयों की हुई है निकासी

बुलंदशहर। उत्तर प्रदेश में योगी सरकार जहां एक तरफ अपनी पीठ थपथपा कर यह जनता के बीच मैसेज दे रही है कि विकास कार्यों में सरकारी फंड के साथ पूरा तंत्र तन मन से लगा हुआ है। वही जमीनी स्तर पर प्रत्येक जिले का हाल बेहाल है या यूं कह लें कि भ्रष्टाचार और घोटाले की भेंट चढ़ चुका है। कहीं से बगावत की आवाजें उठती हैं तो उसको दबाने का कार्य भी पुरजोर पहले ग्राम पंचायत स्तर पर बाद में जिला स्तर पर किया जा रहा है ताकि आम जनता ना तो बगावत कर सके और ना ही अपनी बातों को सरकार तक पहुंचा सके सबसे बड़ी बात तो यह है कि इसमें हर महकमे के अधिकारी पूर्णता संलिप्त पाए जा रहे हैं। फिर भी जांच की जिम्मेदारी उन्हीं को सौंप दी जाती है ताकि बड़े लेवल पर मंडोली करके कागजी खानापूर्ति कर दी जा सके और दिखावे के लिए गवर्नमेंट के पोर्टल और वेबसाइट पर विकास कार्यों कि वाहवाही सरकार लूट सके।

भ्रष्टाचार और घोटाले का भेंट चढ़ा बुलंदशहर का ग्राम पंचायत रंगपुर

सूत्रों से प्राप्तत जानकारी के अनुसार ऐसा ही मामला जिला बुलंदशहर ग्राम पंचायत रंगपुर ब्लाक सीकरपुर सेे आ रहा है जहां ग्राम पंचायत के भ्रष्टाचार और घोटाले का लिखित में जिक्र  ग्रामीणों ने प्रधानमंत्री ऑफिस जिला पंचायतराज अधिकारी मुख्य सचिव, उत्तर प्रदेश सूचना का अधिकार के माध्यम से अवगत करा कर कई बार लड़नेे की कोशिश की लेकिन जांच अधिकारियों द्वारा ही मामलेेे की लीपापोती कर दी जा रही है।  वहीं ग्रामीण बताते हैं कि वित्तीय वर्ष 2015 से 19 तक के बीच  ग्राम विकास के कार्यों में 20 प्रतिशत की कार्यों को  हंड्रेड परसेंट दर्शा कर फर्जी बिल  से पैसों की निकासी  की जा चुकी है। और जिन मदों में पैसों को निकाल कर विकास कार्योंं के लिए लगाना था उन पैसों का बंदरबांट ग्राम प्रधान अपनेे संबंधित अधिकारियों के साथ मिलकर कर लिए हैं जिस वजह से गांव के जिस विकास की बात की जा रही है वह सिर्फ कागजों में सिमट कर रह गया है। ग्रामीण जब  भी जांच की बात करते हैं तो उन्हें फर्जी मुकदमे का डर दिखाकर उनकी आवाजों को दबाने का कार्य भी किया जा रहा है।

सूत्रों और ग्रामीणों से प्राप्त आंकड़ों के हिसाब से वित्तीय वर्ष 2016 – 17 में ₹285500। वित्तीय वर्ष 2017- 18 में 13 लाख 38 हजार। वित्तीय वर्ष 2018- 19 में लगभग 40 लाख। वित्तीय वर्ष 19-20 में साढे 23 लाख रुपयों के निकासी पर कागजी कार्य दिखाकर। फर्जी बिल और पुराने कार्यों को नया बता बड़े स्तर पर बंदरबांट किया गया। जब इस बात की जानकारी ग्रामीणों को चली तो उन्होंने ग्राम प्रधान राजकुमारी पत्नी रामेश्वर गिरी के कार्यों की जांच और भ्रष्टाचार घोटाले को उजागर करने की कोशिश किया जिसमें जांच अधिकारियों के द्वारा लीपापोती कर ग्राम पंचायत के कार्यों को पूर्ण दिखाकर क्लीन चिट दे दिया गया। जब आज भी इस ग्राम पंचायत की सरकारी वेबसाइट पर पंचायत क्रियाकलाप और ग्राम विकास का कार्य के बारे में देखा जाए तो कार्य को पूर्ण दिखा दिया गया है।

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जिसकी पूरी डिटेल वेबसाइट पर मौजूद है। लेकिन ग्रामीणों का आरोप है कि बीस प्रतिशत कार्यों को सौ प्रतिशत विकास कार्य के रूप में दर्शा कर सारे रुपयों का सिर्फ आपस में बंदरबांट फर्जी बिल बनवाकर हुआ है जबकि गांव में इन वित्तीय वर्षों में कार्य के नाम पर सिर्फ पेवन चिपकाया गया है। जो कि भ्रष्टाचार के साथ लाखों रुपयों का घोटाला है। ग्रामीण बताते हैं कि पूरी तरह से ग्राम पंचायत के कार्यों में घोटाला हुआ है और सरकार की आंखों में धूल झोंका गया है।

किसी भी वित्तीय वर्ष में हैंड पंप रिपेयर इंटरलॉकिंग से लेकर तलाब जाल निर्माण क्रॉसिंग खड़ंजा नाली हैंडपंप रिबोर सफाई कर्मचारी कीटो पर जो भी रकम ग्राम पंचायत के विकास कार्यों के लिए आए थे उन सभी मदों में फर्जी काम के साथ खर्च दिखाकर घोटाला किया गया है जिसकी जांच के लिए लगातार ग्रामीण अलग-अलग अधिकारियों से जांच की गुहार लगाते हुए लगातार बने हुए हैं फिर भी इस मामले पर कोई भी जांच या कार्रवाई नहीं की जा रही है और नहीं तो ग्रामीणों को ही उल्टा फंसाने का फरमान अधिकारियों के द्वारा दिया जा रहा है। ग्रामीण यह भी बताते हैं कि प्रधान पति की दबंगई के आगे सभी अधिकारी अपने घुटने टेक चुके हैं। जिस वजह से कोई भी फर्जीकार्य पर जांच नहीं होने दिया जा रहा है। आगे देखना यह होगा कि योगी सरकार के ग्राम पंचायतों में विकास कार्यों का ढिंढोरा पीटना और उनके अधिकारियों के द्वारा लीपापोती करने में ग्रामीणों को क्या हाथ लगता है ?

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