अयोध्या बाबरी मस्जिद विध्वंस केस मे बहस पूरी, 30 सितंबर से पहले फैसला

अयोध्या बाबरी मस्जिद विध्वंस केस मे बहस पूरी, 30 सितंबर से पहले फैसला

स्वतंत्र प्रभात। प्रयागराज ब्यूरो।अयोध्या में विवादित ढांचा विध्वंस के 28 साल बाद सीबीआई की कोर्ट ने इस मामले में अपनी सुनवाई पूरी कर ली है। अब जज 2 सितंबर से इस केस में अपना फैसला लिखवाना शुरू करेंगे।अयोध्या के विवादित ढांचा को ढंहाए जाने के आपराधिक मामले में मंगलवारएक सितम्बर को सीबीआई की विशेष


‌ स्वतंत्र प्रभात।

‌ प्रयागराज ब्यूरो।


‌अयोध्या में विवादित ढांचा विध्वंस के 28 साल बाद सीबीआई की कोर्ट ने इस मामले में अपनी सुनवाई पूरी कर ली है। अब जज 2 सितंबर से इस केस में अपना फैसला लिखवाना शुरू करेंगे।अयोध्या के विवादित ढांचा को ढंहाए जाने के आपराधिक मामले में मंगलवारएक सितम्बर  को सीबीआई की विशेष अदालत (अयोध्या प्रकरण)  में बचाव व अभियोजन पक्ष की मौखिक बहस पूरी हो गई। इसके साथ ही करीब तीन साल से रोज-ब-रोज चल रही इस मामले की अंतिम सुनवाई भी मुक्कमल हो गई। अब सीबीआई की विशेष अदालत को इस मामले में अपना निर्णय सुनाना है।

‌उच्चतम न्यायालय  के आदेश के मुताबिक सीबीआई की विशेष अदालत को हर हाल में 30 सितंबर तक इस मामले को निस्तारित करना है। सीबीआई की विशेष अदालत दो सितंबर से इस मामले में अपना फैसला लिखवाना शुरु करेगी। विशेष जज सुरेंद्र कुमार यादव ने आदेश दिया है कि निर्णय लिखवाने के लिए इस मामले की पत्रावली को उनके सामने पेश किया जाए।

‌मंगलवार को विशेष अदालत के समक्ष बचाव पक्ष की ओर से वरिष्ठ वकील मृदुल राकेश व्यक्तिगत रुप से अदालत में उपस्थित हुए और अपनी मौखिक बहस पूरी की। जबकि वरिष्ठ वकील आईबी सिंह ने वीडियो कान्फे्रसिंग के जरिए अभियुक्त आरएन श्रीवास्तव की ओर से मौखिक बहस की। वहीं दिल्ली से वकील महिपाल अहलूवालिया ने भी जरिए वीडियो कान्फे्रसिंग अभियुक्त लालकृष्ण आडवाणी व मुरली मनोहर जोशी की तरफ से मौखिक बहस की।

अयोध्या बाबरी मस्जिद विध्वंस केस मे बहस पूरी, 30 सितंबर से पहले फैसला

अदालत में बचाव पक्ष की ओर से वकील विमल कुमार श्रीवास्तव, अभिषेक रंजन व केके मिश्रा भी उपस्थित थे। दूसरी ओर सीबीआई की ओर से वकील पी चक्रवर्ती, ललित कुमार सिंह व आरके यादव ने मौखिक बहस की। इसके साथ ही इस मामले की आखिरी सुनवाई भी पूरी हो गई। लिहाजा अंतिम सुनवाई पूरी होने के बाद अब मुमकिन है कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा तय मियाद मं सीबीआई की विशेष अदालत अपना निर्णय सुना दे।

‌छह दिंसबर, 1992 को विवादित ढांचा ढंहाए जाने के मामले में कुल 49 एफआईआर दर्ज हुए थे। एक एफआईआर फैजाबाद के थाना रामजन्म भूमि में एसओ प्रियवंदा नाथ शुक्ला जबकि दूसरी एसआई गंगा प्रसाद तिवारी ने दर्ज कराई थी। शेष 47 एफआईआर अलग अलग तारीखों पर अलग अलग पत्रकारों व फोटोग्राफरों ने भी दर्ज कराए थे। पांच अक्टूबर, 1993 को सीबीआई ने जांच के बाद इस मामले में कुल 49 अभियुक्तों के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया था। इनमंे 17 की मौत हो चुकी है।

‌दोनों पक्षों की दलीलें पेश होने के बाद विशेष न्यायधीश एस.के. यादव ने कहा कि वह बुधवार से फैसला लिखवाना आरंभ करेंगे। दशकों पुराने इस मामले में पूर्व उप प्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी, यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह, पूर्व केंद्रीय मंत्री मुरली मनोहर जोशी, पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती, साक्षी महाराज, साध्वी रितंभरा, विश्व हिंदू परिषद नेता चंपत राय सहित 32 आरोपी हैं।

‌अभियोजन पक्ष सीबीआई आरोपियों के खिलाफ 351 गवाहों और लगभग 600 दस्तावेज प्रस्तुत कर चुकी है। न्यायधीश को इस मामले में उच्चतम न्यायालय द्वारा निर्धारित समयानुसार इस माह के अंत तक फैसला सुनाना है। गौरतलब है कि अयोध्या में विवादित ढांचे को कार सेवकों ने दिसंबर 1992 में ढहाया था।


‌ पहले अयोध्या के बाबरी विध्वंस केस में सोमवार को बचाव पक्ष द्वारा लिखित बहस दाखिल की गई।विशेष न्यायधीश एसके यादव ने बचाव पक्ष के वकील से कहा कि अगर वह मौखिक रूप से कुछ कहना चाहते हैं तो मंगलवार तक कह सकते हैं, वरना उनके अवसर समाप्त हो जाएंगे. इससे पहले अदालत ने इस बात पर नाराजगी जाहिर की थी कि बार-बार समय दिए जाने के बाद भी बचाव पक्ष लिखित बहस दाखिल नहीं कर रहा है। सीबीआई की विशेष अदालत को उच्चतम न्यायालय ने सितंबर महीने तक मामले की सुनवाई पूरी करने व निर्णय करने को कहा है। अदालत को फैसला करने में सीबीआई के 351 गवाहों और अन्य दस्तावेजों पर गौर करना है।सीबीआई पहले ही 400 पृष्ठों की लिखित बहस दाखिल कर चुकी है।

‌ प्रयागराज ब्यूरो से दया शंकर त्रिपाठी तथा वरिष्ठ पत्रकार एवं कानून के जानकार जेपी सिंह की रिपोर्ट।

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