तकनीकी एवं नवाचार आधारित कार्यक्रम प्रारम्भ किए जाए  - राज्यपाल

तकनीकी एवं नवाचार आधारित कार्यक्रम प्रारम्भ किए जाए  - राज्यपाल

 सिद्धार्थनगर।सिद्धार्थ विश्वविद्यालय कपिलवस्तु, सिद्धार्थनगर में प्रवास के दूसरे दिन मंगलवार को उत्तर प्रदेश की राज्यपाल एवं विश्वविद्यालय की कुलाधिपति आनंदीबेन पटेल ने विश्वविद्यालय के अधिकारियों एवं शिक्षकों के साथ एक विस्तृत समीक्षा बैठक की। बैठक में कुलपति प्रोफेसर कविता शाह सहित सभी अधिकारी, विभागाध्यक्ष एवं प्रकल्प प्रभारी उपस्थित रहे।
 
बैठक के प्रारंभ में राज्यपाल ने विश्वविद्यालय में आयोजित नवम दीक्षांत समारोह की सफल एवं गरिमामय सम्पन्नता पर प्रसन्नता व्यक्त की । राज्यपाल ने विश्वविद्यालय की शैक्षणिक उपलब्धियों पर संतोष व्यक्त करते हुए कहा कि नेट एवं जेआरएफ में विद्यार्थियों का चयन बढ़ रहा है, जो सकारात्मक संकेत है। उन्होंने शोध परियोजनाओं, शिक्षकों द्वारा प्राप्त पेटेंट्स तथा नवाचार को सराहनीय बताते हुए कहा कि शोध कार्य समाजोपयोगी होना चाहिए, जिससे शिक्षा एवं समाज दोनों को प्रत्यक्ष लाभ मिल सके। उन्होंने एनईपी आधारित एकीकृत पाठ्यक्रमों, पर्यावरण विज्ञान, संगीत एवं ललित कला जैसे नए पाठ्यक्र​मों की शुरुआत को विश्वविद्यालय की दूरदर्शी पहल बताया तथा सुझाव दिया कि आगे और तकनीकी एवं नवाचार आधारित कार्यक्रम प्रारंभ किए जाए।
 
उन्होंने साइबर सुरक्षा के महत्व पर बल देते हुए कहा कि यह वर्तमान समय की अत्यंत महत्वपूर्ण आवश्यकता है। उन्होंने शिक्षकों को इस क्षेत्र में प्रशिक्षण प्राप्त करने तथा विद्यार्थियों को जागरूक करने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने कहा कि विद्यार्थियों को सजग करने से परिवार और उससे आगे पूरा समाज जागरूक होगा तथा भारत साइबर चुनौतियों से प्रभावी रूप से निपट सकेगा। डीआरडीओ, इसरो,आई आईटी,आईआईएम सहित विभिन्न संस्थानों से एमओयू करने, फैकल्टी ट्रेनिंग प्रोग्राम चलाने तथा रक्षा तकनीक से जुड़े पाठ्यक्रम संचालित करने की आवश्यकता पर भी बल दिया। उन्होंने कहा कि भविष्य में भारत रक्षा उत्पादन एवं निर्यात का वैश्विक केंद्र बनने जा रहा है, ऐसे में विश्वविद्यालय को इस दिशा में अग्रणी भूमिका निभानी चाहिए।
 
सुबह किए गए निरीक्षण का उल्लेख करते हुए उन्होंने ने छात्रावासों की साफ-सफाई, स्वास्थ्यवर्धक भोजन तथा समुचित व्यवस्था की सराहना की। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय को सरकारी योजनाओं से और अधिक फंडिंग प्राप्त कर छात्रावासों में उच्च स्तरीय सुविधाएँ प्रदान करनी चाहिए। उन्होंने स्वच्छता की नियमित मॉनिटरिंग, पर्यावरण संरक्षण तथा प्लास्टिक के उपयोग पर रोक की आवश्यकता पर विशेष जोर दिया। एक विश्वविद्यालय के उदाहरण का उल्लेख करते हुए उन्होंने बताया कि घास या प्राकृतिक अपशिष्ट से स्वयं सहायता समूह उपयोगी उत्पाद जैसे टोकरी, दरी इत्यादि बनाकर आर्थिक रूप से सशक्त हो सकते हैं। इस दिशा में विश्वविद्यालय को भी प्रयास करना चाहिए।
 
राज्यपाल ने डिजिटल लाइब्रेरी की प्रगति पर संतोष व्यक्त करते हुए इसे शीघ्र विद्यार्थियों को समर्पित करने के निर्देश दिए। उन्होंने इक़युवेशन सेंटर एवं प्लेसमेंट सेल को और अधिक सक्रिय एवं प्रभावी बनाने की आवश्यकता पर बल दिया। 
उन्होंने विभिन्न विभागो द्वारा शैक्षणिक भ्रमण महत्वपूर्ण स्थान पर ले जाने की बात कही ताकि विद्यार्थी परिषर से बाहर ऐसे महत्वपूर्ण स्थानों का भ्रमण करते थे जो उनके लिए ज्ञानवर्धक होगा। विश्वविद्यालय में स्थापित सोलर प्लांट को और विस्तार की बात कही।
 
कुलाधिपति ने विश्विद्यालय के सामाजिक दायित्व का उल्लेख करते हुए कहा कि शिक्षण संस्थान पाठ्यक्रम के साथ ही आस पास के समाज के उत्थान एवं विकास में अनुकरणीय भूमिका है। इस हेतु नियमित संवेदनशील सक्रियता बहुत आवश्यक है। उन्होंने विश्वविद्यालय समुदाय में सकारात्मक और पारिवारिक वातावरण के विकास पर विशेष जोर दिया। उन्होंने कहा कि परिसर में सहचर्य, सहयोग और संवेदनशीलता होनी चाहिए। परिसर में रहने वाले परिवारों के बीच नियमित संवाद, सुख-दुख की साझेदारी और सामाजिक-परिवारिक वातावरण विद्यार्थियों के लिए एक प्रेरक एवं संस्कारित माहौल तैयार करता है। उन्होंने कहा कि एक स्वस्थ, सहयोगी और पारिवारिक वातावरण ही विश्वविद्यालय की कार्यकुशलता, उत्पादकता और मानव संसाधन विकास को सर्वाधिक समृद्ध बनाता है, और यही विकसित भारत के निर्माण की आधारशिला है।
 
 राज्यपाल ने कहा कि सिद्धार्थ विश्वविद्यालय आकांक्षी जनपद सिद्धार्थनगर के विकास में अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है और विश्वविद्यालय निरंतर प्रगति के मार्ग पर अग्रसर है। उन्होंने कहा कि कोई भी कार्य अंतिम नहीं होता । जहा आज खड़े हैं, कल उससे आगे बढ़ने का सतत प्रयास ही वास्तविक विकास है। यही भविष्य की दिशा है और यही जीवन का सार है। समीक्षा बैठक में कुलसचिव दीनानाथ यादव ने राज्यपाल का स्वागत किया तथा समापन उद्बोधन कुलपति प्रो. कविता शाह द्वारा किया गया। 

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