दिल्ली एयरपोर्ट पर जीपीएस स्पूफिंग का खतरा, जानिए क्या है जीपीएस स्पूफिंग? क्या है इसका खतरा?

उड़ानों का मार्ग बदला — जांच में जुटीं एजेंसियां

दिल्ली एयरपोर्ट पर जीपीएस स्पूफिंग का खतरा, जानिए क्या है जीपीएस स्पूफिंग? क्या है इसका खतरा?

रिपोर्ट : सचिन बाजपेई
 
नई दिल्ली। देश की राजधानी दिल्ली के इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डे (आईजीआई एयरपोर्ट) से एक बेहद चौंकाने वाली और सुरक्षा के लिहाज़ से गंभीर घटना सामने आई है। बीते कुछ दिनों से एयरपोर्ट के आसपास जीपीएस संकेतों में गड़बड़ी देखी जा रही है, जिसे जीपीएस स्पूफिंग का मामला माना जा रहा है। यह तकनीकी गड़बड़ी इतनी खतरनाक मानी जा रही है कि इससे विमानों की वास्तविक स्थिति की जानकारी गलत दिखने लगी, जिसके कारण कई उड़ानों को मार्ग बदलना पड़ा और हवाई यातायात पर असर पड़ा।
 
क्या है जीपीएस स्पूफिंग?
 
जीपीएस स्पूफिंग एक ऐसी तकनीकी गड़बड़ी है, जिसमें किसी स्रोत से नकली उपग्रह संकेत भेजे जाते हैं जो असली संकेतों की तरह दिखाई देते हैं। इससे विमान का नेविगेशन तंत्र भ्रमित हो जाता है और उसे लगता है कि वह किसी दूसरी जगह है, जबकि वह असल में कहीं और उड़ रहा होता है।
इसे ऐसे समझिए — जैसे किसी ने आपके मोबाइल के नक्शे पर आपकी स्थिति बदल दी हो, और आपको यह एहसास ही न हो कि आप वास्तव में कहाँ हैं। विमान के मामले में यह बेहद खतरनाक और जानलेवा स्थिति बन सकती है, क्योंकि इससे गलत दिशा, ऊँचाई या रनवे की जानकारी मिल सकती है।
 
दिल्ली हवाईअड्डे पर क्या हुआ?
 
सूत्रों के अनुसार, पिछले दो से तीन दिनों से यह समस्या देखी जा रही है, ख़ास तौर पर तब जब हवा पूर्वी दिशा से चल रही होती है। इस गड़बड़ी के कारण कुछ पायलटों को विमान की सटीक स्थिति की गलत जानकारी मिलने लगी, जिससे उड़ानों का मार्ग बदलना पड़ा और कुछ विमानों को दूसरे हवाईअड्डों की ओर मोड़ना पड़ा।
इस वजह से एयर ट्रैफिक नियंत्रण पर दबाव बढ़ गया और कुछ देर के लिए हवाई यातायात अव्यवस्थित हो गया।
 
 जांच में जुटीं सुरक्षा एजेंसियां
 
यह पहला मौका है जब दिल्ली जैसे व्यस्त अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डे पर इस तरह की घटना दर्ज की गई है।
नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (डीजीसीए) और हवाईअड्डा संचालक प्राधिकरण ने इस मामले की गंभीर जांच शुरू कर दी है।
पायलटों को सतर्क रहने और वैकल्पिक दिशा-निर्देशन प्रणाली का प्रयोग करने की सलाह दी गई है।
 
बड़ा सुरक्षा अलर्ट
 
विशेषज्ञों का कहना है कि यदि यह घटना जानबूझकर की गई तकनीकी छेड़छाड़ साबित होती है, तो यह राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा बन सकती है। फिलहाल तकनीकी विशेषज्ञ और हवाई यातायात नियंत्रण अधिकारी इस गड़बड़ी के स्रोत का पता लगाने में जुटे हुए हैं, ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं को दोबारा होने से रोका जा सके
 
 

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