दो साल से बिना तौल मशीन के चल रहा खरगूपुर डाकघर  किराना दुकानों पर तौल रहा सरकारी सिस्टम! ‘डिजिटल इंडिया’ की हकीकत 

दो साल से बिना तौल मशीन के चल रहा खरगूपुर डाकघर, निरीक्षण तक नहीं हुआ

दो साल से बिना तौल मशीन के चल रहा खरगूपुर डाकघर  किराना दुकानों पर तौल रहा सरकारी सिस्टम! ‘डिजिटल इंडिया’ की हकीकत 

गोंडा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के डिजिटल इंडिया मिशन और स्मार्ट पोस्ट ऑफिस की चमकदार योजनाओं के बीच गोंडा जिले का खरगूपुर उपडाकघर सरकारी लापरवाही की मिसाल बन गया है। यहां पिछले दो वर्षों से डिजिटल तौल मशीन नहीं है, जिसके कारण पत्र, रजिस्ट्री और पार्सल का वजन कराने के लिए ग्राहकों को पास की किराना दुकानों पर जाना पड़ता है।
 
किराना दुकानों पर तौल, डाकघर में सिर्फ रसीद!
स्थानीय ग्रामीणों का कहना है कि डाकघर में जब वजन की सुविधा नहीं होती, तो कर्मचारी खुद कहते हैं कि "पास की दुकान पर वजन करा लीजिए, तब टिकट लगेगा"। गांव के निवासी राजेश सिंह बताते हैं — “यह तो सरकारी सेवा का मजाक है। हर महीने लोग दर्जनों पार्सल भेजते हैं, लेकिन वजन बाहर करना पड़ता है। दो साल से कोई देखने तक नहीं आया।”
 
 सरकार के नियम साफ, अमल नदारद
भारत सरकार के डाक विभाग (Department of Posts) ने 2019 में स्पष्ट दिशा-निर्देश जारी किए थे कि हर उपडाकघर में कम से कम दो डिजिटल वेइंग मशीनें अनिवार्य होंगी। ये मशीनें भारतीय मानक ब्यूरो (BIS) से प्रमाणित होंगी और ऑनलाइन शुल्क प्रणाली से जुड़ी रहेंगी, ताकि ग्राहक से लिए गए शुल्क में पारदर्शिता बनी रहे।
साथ ही हर छह माह में निरीक्षक द्वारा उपकरणों का परीक्षण भी अनिवार्य है।
लेकिन खरगूपुर डाकघर में न मशीन है, न निरीक्षण हुआ।
 
 डाकघर प्रभारी बोले — "तीन माह पहले आया हूं"
डाकघर के प्रभारी प्रशांत ने बताया — “हमें यहां कार्यभार संभाले करीब तीन महीने हुए हैं। मशीन की स्थिति के बारे में पूरी जानकारी नहीं है, लेकिन इस विषय में उच्च अधिकारियों को सूचना दी जाएगी।” उनका जवाब यह स्पष्ट करता है कि विभागीय समन्वय और निरीक्षण व्यवस्था पूरी तरह ढीली है।
 
 ग्रामीण बोले — डिजिटल इंडिया बस पोस्टरों में
ग्रामीणों का कहना है कि डाकघर जैसी संवेदनशील संस्था में यह स्थिति शर्मनाक है। मनीराम ने तंज कसते हुए कहा —
“सरकार डिजिटल इंडिया की बात करती है, लेकिन यहां तो सरकारी सिस्टम ही किराना दुकान पर तौल करा रहा है। ये है डिजिटल इंडिया की असलियत।” लोगों ने कहा कि डाकघर में बैंकिंग, बीमा, पेंशन और मनीऑर्डर जैसी सेवाएँ चलती हैं, ऐसे में अगर वजन जैसी बुनियादी सुविधा ही गायब हो, तो जनता का भरोसा कैसे बनेगा।
 
 विभागीय निगरानी पर सवाल, कार्रवाई की मांग
सूत्र बताते हैं कि यह मामला कई बार उच्च अधिकारियों तक मौखिक रूप से पहुंचाया गया, लेकिन अब तक न कोई जांच हुई, न सुधार। स्थानीय लोगों और समाजसेवियों ने डाक अधीक्षक गोंडा से तत्काल नई डिजिटल तौल मशीन की आपूर्ति और जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्रवाई की मांग की है।
 
 जनता का सवाल — अगर डिजिटल इंडिया सशक्त है, तो जमीनी डाकघर इतने निर्बल क्यों?
यह सवाल सिर्फ खरगूपुर का नहीं, बल्कि पूरे सिस्टम की कार्यप्रणाली पर चोट करता है। अगर दो साल तक किसी डाकघर में डिजिटल मशीन न हो, तो यह लापरवाही नहीं, बल्कि प्रणालीगत विफलता है।

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