भारत-अमेरिका रक्षा समझौता: 10 वर्षीय साझेदारी के नए आयाम

भारत-अमेरिका रक्षा समझौता: 10 वर्षीय साझेदारी के नए आयाम

[दो लोकतंत्रएक लक्ष्य: सुरक्षा से समृद्धि तक का ऐतिहासिक करार]

[सहयोग से सामर्थ्य तक: भारत-अमेरिका रक्षा सूत्र की अविचल गूंज]

हिंद महासागर की अथाह गहराइयों मेंजहां हर लहर वैश्विक शक्ति-संतुलन की कहानी कहती हैवहीं भारत और अमेरिका का नया रक्षा समझौता एक उदित सूर्य की भांति प्रकट हुआ है — जो इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में स्थिरतासुरक्षा और सामर्थ्य की अविचल आभा बिखेर रहा है। 31 अक्टूबर को कुआलालंपुर में आयोजित आसियान रक्षा मंत्रियों की बैठक के दौरानभारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और अमेरिकी रक्षा सचिव पीट हेगसेथ ने यूएस-इंडिया मेजर डिफेंस पार्टनरशिप फ्रेमवर्क’ पर हस्ताक्षर किए। यह दस वर्षीय समझौता केवल एक दस्तावेज नहींबल्कि एक रणनीतिक क्रांति है — जो भूमिसमुद्रवायुअंतरिक्ष और साइबर के हर क्षेत्र में सहयोग को नई ऊंचाइयों तक ले जाएगा। यह साझेदारी 2015 के पुराने ढांचे को पीछे छोड़ते हुए एक मुक्तसमतामूलक और नियम-आधारित इंडो-पैसिफिक के प्रति दोनों देशों की साझा प्रतिबद्धता का द्योतक है। रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने इस पहल को द्विपक्षीय संबंधों का अटल रक्षा स्तंभ बतायावहीं हेगसेथ के

शब्दों में — भारत-अमेरिका रक्षा साझेदारी अब अभूतपूर्व ऊँचाइयों पर पहुँच चुकी है। यह महत्त्वपूर्ण समझौता  केवल रणनीतिक समीकरणों को नई दिशा और गति प्रदान करेगाबल्कि आने वाले दशक में वैश्विक शक्ति-संतुलन की धुरी को भी पुनर्परिभाषित करेगा। इस ऐतिहासिक साझेदारी की जड़ें 1995 तक जाती हैंजब भारत और अमेरिका ने पहली बार रक्षा सहयोग की दिशा में कदम बढ़ाया था। समय के साथ यह संबंध और प्रगाढ़ हुआ—2016 का लॉजिस्टिक्स एक्सचेंज मेमोरेंडम ऑफ एग्रीमेंट (लेमोआऔर 2020 का बेसिक एक्सचेंज एंड कोऑपरेशन एग्रीमेंट (बेकाइस विश्वास की मजबूत नींव बने। अब यह नया फ्रेमवर्क सैन्य अंतरसंचालनीयतासूचना साझेदारीऔर तकनीकी नवाचार को नई गति देगा। तथ्य स्वयं बोलते हैं—भारत ने पिछले दशक में अमेरिका से 22 अरब डॉलर से अधिक के रक्षा उपकरण खरीदे हैंजिनमें सी-17 ग्लोबमास्टरपी-8आई पोसाइडनऔर अपाचे हेलीकॉप्टर जैसे अत्याधुनिक हथियार शामिल हैं। यह समझौता न केवल रणनीतिक विश्वास को गहरा करता हैबल्कि ‘मेक इन इंडिया’ को भी नई ऊर्जा प्रदान करता है। उदाहरणस्वरूपहिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएलऔर जीई एयरोस्पेस के बीच एफ-414 जेट इंजन का संयुक्त उत्पादन 2026 तक शुरू होगा — यह भारत की रक्षा स्वावलंबन यात्रा में मील का पत्थर सिद्ध होगा। अमेरिकी पेंटागन के अनुसारमालाबार और टाइगर ट्रायम्फ जैसे संयुक्त सैन्य अभ्यास दोनों सेनाओं के बीच तालमेल और विश्वास को और प्रगाढ़ करेंगे — जो क्षेत्रीय संतुलन और निवारण का दृढ़ आधार बनेंगे।

इंसानियत गुम, व्यवस्था मौन — फिर हुआ एक कैदी फरार Read More इंसानियत गुम, व्यवस्था मौन — फिर हुआ एक कैदी फरार

इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में चीन की बढ़ती आक्रामकता—विशेषकर दक्षिण चीन सागर और ताइवान जलडमरूमध्य में—के बीच यह समझौता एक सशक्त संतुलनकारी शक्ति के रूप में उभरता है। अमेरिकी रक्षा सचिव हेगसेथ ने चीनी रक्षा मंत्री डोंग जून से भेंट के दौरान इसे क्षेत्रीय स्थिरता का कोरस्टोन” करार दियाजो इसके रणनीतिक महत्व को स्पष्ट करता है। यह नया फ्रेमवर्क रक्षा सहयोग को केवल सीमित दायरे में नहीं रखताबल्कि कृत्रिम बुद्धिमत्ताड्रोन तकनीकऔर साइबर सुरक्षा जैसे अत्याधुनिक क्षेत्रों में साझेदारी को प्राथमिकता देता है। इंडस-एक्स जैसे मंच भारत-अमेरिका के स्टार्टअप्स और नवाचार पारिस्थितिकी तंत्र को जोड़ते हुए स्वदेशी उत्पादन और रोजगार सृजन को नई उड़ान देंगे — अनुमानतः लाखों नई नौकरियां उत्पन्न होंगी। इस सहयोग की बुनियाद पहले ही रखी जा चुकी थी — 2016 में भारत को मेजर डिफेंस पार्टनर का दर्जा और 2018 में स्ट्रैटेजिक ट्रेड ऑथराइजेशन (एसटीए टियर-1) की मान्यता ने इसे संस्थागत मजबूती दी। आज यह साझेदारी केवल सैन्य तालमेल का प्रतीक नहींबल्कि आर्थिक समृद्धि और तकनीकी स्वावलंबन का भी आधार बन रही हैजो भारत को आने वाले वर्षों में वैश्विक रक्षा नवाचार का केंद्र बना देगी।

चुनौतियाँ भी कम नहीं रहीं। अगस्त 2025 में ट्रंप प्रशासन द्वारा भारतीय आयात पर 50% तक टैरिफ वृद्धि ने दोनों देशों के संबंधों में तनाव पैदा किया। इसके जवाब में भारत ने अमेरिकी रक्षा खरीद को अस्थायी रूप से स्थगित कर दिया। साथ हीरूस से तेल आयात को लेकर वाशिंगटन की आलोचना ने स्थिति को और पेचीदा बना दिया। इन नीतिगत मतभेदों के कारण लगभग 48 अरब डॉलर के भारतीय निर्यात पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ने की आशंका थीजिसके चलते रक्षामंत्री राजनाथ सिंह की वाशिंगटन यात्रा रद्द करनी पड़ी। फिर भीभारत-अमेरिका रक्षा सहयोग इन अस्थायी विवादों से ऊपर उठा। 27 अक्टूबर को विदेश मंत्री एस. जयशंकर और अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रूबियो की कुआलालंपुर में हुई मुलाकात ने संबंधों में नए सिरे से विश्वास और संवाद का द्वार खोला। अक्टूबर में अमेरिका द्वारा रूस की तेल कंपनियों — रोसनेफ्ट और लुकोइल — पर लगाए गए प्रतिबंधों के बाद भारत ने रूसी तेल आयात घटाकर 1.8 मिलियन बैरल प्रतिदिन से कम कर दिया। परिणामस्वरूपभारतीय रिफाइनरियों की अमेरिकी कच्चे तेल पर निर्भरता 2022 के बाद उच्चतम स्तर पर पहुँच गई। दक्षिण कोरिया की अपनी यात्रा के दौरान ट्रंप ने यह संदेश दिया कि, “भारत के साथ निष्पक्ष व्यापार समझौता हमारी प्राथमिकता है। यह बयान संकेत देता है कि मतभेदों के बावजूद भारत-अमेरिका साझेदारी का सामरिक व आर्थिक भविष्य सशक्त और दीर्घकालिक है।

यह दस वर्षीय रणनीतिक फ्रेमवर्क केवल एक समझौता नहींबल्कि भविष्य की दिशा तय करने वाली घोषणा है — जिसकी गूंज वैश्विक मंचों पर सुनाई देगी। 2+2 मंत्रिस्तरीय संवाद के माध्यम से भारत और अमेरिका अब जलवायु परिवर्तनसाइबर युद्धऔर हाइपरसोनिक हथियारों जैसे उभरते खतरों का संयुक्त रूप से सामना करेंगे। रक्षा मंत्रालय के अनुसारयह समझौता क्वांटम कंप्यूटिंगस्वायत्त प्रणालियोंऔर उन्नत रक्षा तकनीकों के क्षेत्र में साझेदारी का नया अध्याय खोलेगा। यह साझेदारी भारत की नेबरहुड फर्स्ट’ और एक्ट ईस्ट’ नीतियों को अमेरिका की इंडो-पैसिफिक रणनीति से इस तरह जोड़ती है कि क्षेत्रीय और वैश्विक हितों की एक नई धारा प्रवाहित होती दिखती है।

यह गठबंधन केवल सुरक्षा का करार नहींबल्कि लोकतंत्रस्वतंत्रता और नियम-आधारित व्यवस्था जैसे साझा मूल्यों का उत्सव है। तनाव और मतभेदों के बावजूदयह साझेदारी सिद्ध करती है कि रणनीतिक आवश्यकताएँ हमेशा व्यापारिक विवादों पर विजय प्राप्त करती हैं। आने वाला दशक इस सहयोग का स्वर्णयुग होगा — जहाँ भारत और अमेरिका मिलकर न केवल क्षेत्रीय शांति सुनिश्चित करेंगेबल्कि वैश्विक व्यवस्था में नया संतुलन स्थापित करेंगे। जैसे हिंद महासागर की लहरें अनंत क्षितिज तक फैलती हैंवैसे ही यह साझेदारी भारत और अमेरिका को एक सुरक्षितसमृद्ध और शक्तिशाली भविष्य की ओर अग्रसर करेगी — जहाँ सहयोग प्रतिस्पर्धा से ऊपर होगाऔर शांति ही विश्व की नई पहचान बनेगी।

प्रो. आरके जैन अरिजीत,

About The Author

स्वतंत्र प्रभात मीडिया परिवार को आपके सहयोग की आवश्यकता है ।

Post Comment

Comment List

आपका शहर

अंतर्राष्ट्रीय

Online Channel