एससी-एसटी एक्ट का झूठा मुकदमा कराने वाली महिला को तीन साल की कैद
किसान यूनियन की गुटबाजी में फंसाया गया था निर्दोष व्यक्ति, कोर्ट ने कहा– कानून का दुरुपयोग समाज के लिए घातक
लखनऊ, संवाददाता।
किसान यूनियन की आपसी गुटबाजी में विरोधी पक्ष को फंसाने के लिए झूठा मुकदमा दर्ज कराने वाली महिला ममता को एससी-एसटी एक्ट की विशेष अदालत ने दोषी करार देते हुए तीन साल की सजा सुनाई है। कोर्ट ने कहा कि ऐसे मामलों में सख्त रुख अपनाना आवश्यक है, ताकि कानून का भय और सम्मान दोनों बने रहें।
2019 में दर्ज हुआ था मामला
पत्रावली के अनुसार, 3 अगस्त 2019 को ममता ने लखनऊ के माल थाने में एक रिपोर्ट दर्ज कराई थी। रिपोर्ट में आरोप लगाया गया था कि जब वह अपने मौसा से मिलने के बाद घर लौट रही थी, तभी रास्ते में विनोद, केशन और अर्जुन नाम के व्यक्तियों ने उसके साथ छेड़खानी की और उसे जबरन बाग की ओर खींचने का प्रयास किया। ममता ने यह भी कहा था कि आरोपियों ने उसके गले की चेन छीन ली और तभी वहां एक गाड़ी आने की आवाज सुनकर तीनों आरोपी फरार हो गए।
जांच में सामने आया फर्जीवाड़ा
मामले की विवेचना क्षेत्राधिकारी मलिहाबाद ने की। जांच में यह तथ्य सामने आया कि घटना के समय न तो ममता और न ही आरोपी उस स्थान पर मौजूद थे। पुलिस ने पाया कि ममता ने किसान यूनियन की आंतरिक रंजिश के चलते विरोधी पक्ष को फंसाने के लिए यह झूठा मुकदमा दर्ज कराया था।
जांच रिपोर्ट में कहा गया कि ममता का उद्देश्य सामाजिक और कानूनी रूप से विरोधी गुट को बदनाम करना था। रिपोर्ट के आधार पर अभियोजन पक्ष ने अदालत से कड़ी कार्रवाई की मांग की।
कोर्ट की सख्त टिप्पणी
निर्णय सुनाते हुए कोर्ट ने कहा कि एससी-एसटी एक्ट का उद्देश्य समाज के वंचित और कमजोर तबके को सुरक्षा और न्याय प्रदान करना था। यह एक्ट अत्याचारों से पीड़ित लोगों को राहत और पुनर्वास देने के लिए बनाया गया है। लेकिन इसका झूठे मुकदमों में इस्तेमाल न केवल कानून की भावना के खिलाफ है, बल्कि वास्तविक पीड़ितों के लिए न्याय की प्रक्रिया को भी कमजोर करता है।
न्यायाधीश ने कहा कि “अदालत मूकदर्शक बनकर नहीं बैठ सकती। जब कानून का दुरुपयोग होने लगे, तो उसे रोकने के लिए कठोर कदम उठाना न्याय व्यवस्था की जिम्मेदारी बन जाती है।”
कानून के दुरुपयोग पर चिंता
कोर्ट ने यह भी उल्लेख किया कि हाल के वर्षों में एससी-एसटी एक्ट, पॉक्सो एक्ट और दहेज उत्पीड़न जैसे कानूनों के झूठे मामलों में वृद्धि देखी जा रही है। इस प्रवृत्ति से न्याय व्यवस्था पर जनता का भरोसा कमजोर पड़ सकता है। अदालत ने कहा कि ऐसे मामलों में सख्त सजा देकर ही यह संदेश दिया जा सकता है कि कोई भी व्यक्ति कानून का गलत इस्तेमाल नहीं कर सकता।
अंततः तीन साल की सजा
सभी तथ्यों और साक्ष्यों को देखते हुए अदालत ने ममता को दोषी करार दिया और उसे तीन साल की सश्रम कारावास की सजा सुनाई। साथ ही यह भी कहा कि भविष्य में ऐसे मामलों में विवेचना अधिकारी को और अधिक सतर्क रहना चाहिए, ताकि निर्दोष लोगों को झूठे मामलों में न फंसाया जाए।

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