कुशीनगर में कैन सेट राॅकेट लांचिंग, मिली सफलता

कुशीनगर में कैन सेट राॅकेट लांचिंग, मिली सफलता

कुशीनगर। विज्ञान और तकनीक के क्षेत्र में कुशीनगर एक ऐतिहासिक कदम उठाते हुए जिला अब उत्तर भारत का पहला जिला बन गया है। जहां कैन सेट रॉकेट लॉन्चिंग प्रतियोगिता का आयोजन किया जा रहा है। तमकुहीराज तहसील के पिपरा घाट जीरो बंधे पर आज इस तीन दिवसीय राष्ट्रीय प्रतियोगिता का शुभारंभ हुआ, जिसमें देशभर से आए युवा प्रतिभागियों ने अपने रॉकेट लॉन्च किए

पहले दिन चार सफल रॉकेट  हुआ लॉन्च

प्रतियोगिता के पहले दिन ही कई टीमों ने अपने बनाए रॉकेट सफलतापूर्वक लांच किए और उन्हें रिकवर भी कर लिया, इस रोमांचक पल ने ना सिर्फ उपस्थित वैज्ञानिकों और दर्शकों को प्रभावित किया बल्कि युवाओं में अंतरिक्ष विज्ञान के प्रति नई ऊर्जा का संचार किया।

इसरो और इन–स्पेस की मौजूदगी ने बढ़ाया आयोजन का स्तर

यह प्रतियोगिता इसरो की सहयोगी संस्था इन स्पेस और एक स्वयंसेवी संस्था के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित की जा रही है। निर्णायक मंडल में इसरो और इन स्पेस के वरिष्ठ वैज्ञानिक शामिल हैं जिन्होंने लॉन्चिंग की तकनीकी समीक्षा की, इन स्पेस के एडीशनल डायरेक्टर डॉ. विनोद सिंह ने कार्यक्रम की निगरानी की और प्रतिभागियों को प्रोत्साहित किया। 

सांसद शशांक मणि त्रिपाठी रहे विशेष अतिथि

उद्घाटन सत्र में देवरिया सांसद शशांक मणि त्रिपाठी ने विशेष अतिथि के रूप में भाग लिया, उन्होंने डॉ. विनोद सिंह के साथ पूजा-अर्चना कर रॉकेट लॉन्चिंग का शुभारंभ किया। इस अवसर पर सांसद ने कहा- यह आयोजन न केवल कुशीनगर के युवाओं में वैज्ञानिक सोच को प्रोत्साहित करेगा बल्कि जिले को राष्ट्रीय स्तर पर नई पहचान भी दिलाएगा। 

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देशभर की 71 टीमें हुई शामिल

इस प्रतियोगिता में भारत के विभिन्न राज्यों और शहरों से 71 टीमें भाग ले रही हैं. सभी प्रतिभागियों के रहने-खाने की व्यवस्था स्थल के आसपास ही की गई है ताकि प्रतियोगिता में किसी प्रकार की दिक्कत न हो। कार्यक्रम के तीसरे दिन अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला के पहुंचने की संभावना जताई जा रही है, जिससे प्रतिभागियों में उत्साह और बढ़ गया है। 

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कुशीनगर को मिला नई उड़ान–नई पहचान

वैज्ञानिक दृष्टि से पिछड़े माने जाने वाले जिलों में शामिल कुशीनगर के लिए यह आयोजन एक नई शुरुआत साबित हो रहा है, इससे न केवल स्थानीय युवाओं को प्रेरणा मिलेगी बल्कि जिले का नाम भी राष्ट्रीय वैज्ञानिक मानचित्र पर दर्ज हो गया है। कुशीनगर अब सिर्फ धार्मिक पर्यटन का केंद्र नहीं, बल्कि विज्ञान और नवाचार का नया केंद्र बनने की दिशा में अग्रसर है।

 

 

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