जल के लिए परेशान जनता, जल बोर्ड ले रहा अग्नि परीक्षा, दिल्ली जल मंत्री जागते रहो
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नईदिल्ली -पटेल नगर एक तरफ जहां देश ही नहीं दुनियां ने पानी से हो रही तबाही को देखा और अभी भी कहीं कहीं देख ही रहा है वहीं दिल्ली के पटेल नगर विधानसभा की जनता पानी की एक एक बूंद के लिए जल बोर्ड के चक्कर लगाती और खुद को जल बोर्ड कर्मियों द्वारा जलील होते देख रही है।विधान सभा पटेल नगर के प्रतिष्ठित समाज सेवक एस के चौबे ने बताया कि पटेल नगर विधान सभा के अंतर्गत वार्ड 85 का लगभग 85% क्षेत्र और वार्ड 88 का लगभग 20% क्षेत्र की भौगोलिय स्थिति ऐसी है जो ऊंचाई पर पहाड़ी पर बसी हुई है जहां नेताओं की उदासीनता के कारण नल से जल आज तक नहीं दिया गया और यहां के लोग टैंकर से पानी भरने को मजबूर बनाए हो गए।
यह क्षेत्र है गायत्री कॉलोनी, गुलशन चौक, नेपाली मंदिर, आंबेडकर पार्क, गुंबद के आस पास का एरिया, होली चौक, जोगी बस्ती, भील बस्ती, शिव मंदिर, राजीव चौक और झंडेवालान चौक यहां के सब लोग टैंकर से ही पानी भरने पर आश्रित है। यहां पर रहने वालों की संख्या लगभग 30 हजार से अधिक बताई जा रही है आपको बता दें कि चुनाव के समय यहां के लोग अपनी ड्यूटी को छोड़कर हर एक वोटर अपना वोट करने जाता है और अपने प्रश्नदीदा उम्मीदवार को खूब भर भर कर वोट करता है बस इस आशा में कि सबकी झुग्गी झोपड़ी बची रहे और इनको समय से पानी मिल जाय लेकिन चुनाव जैसे ही खत्म होता है यहां के लोगों को फिर धक्के खाने के लिए छोड़ दिया जाता है।
इस समय की यह दशा है कि लोगों को टैंकर से भी पानी नहीं मिल पा रहा है कारण बताया जा रहा है कि जल बोर्ड ने 10-12 टैंकर को हटा दिया है जबकि जल बोर्ड को भली भांति पता है कि टैंकर की कितनी आवश्यकता है यहां पर उसके बाद भी टैंकर नेताओं के इशारे पर जनता को परेशान करने के लिए नेताओं के साजिश का हिस्सा बनकर जनता को परेशान कर रही है। अगर जल बोर्ड को टैंकर हटाना ही था तो पहले दूसरे टैंकर की व्यवस्था की क्यों नहीं बिना गाड़ी की व्यवस्था किए चलती हुई गाड़ी को बंद क्यों किया ?
अगर जल बोर्ड अपने इस तरह के कुकृत्यो से बाज नहीं आती है तो इसके लिए इनके कुकृत्यो का उजागर करने के लिए हम बाध्य होंगे। पिछली सरकार में जहां कुछ कम लोग परेशान हुए थे वहीं इस सरकार ने तो प्यासे ही मारने की रचना बना डाली है जनता को, लोग मजबूर है पानी खरीद कर नहाने धोने और पानी पीने के लिए जो ठीक नहीं है जबकि प्रदेश की मुखिया एक महिला है और एक महिला को पानी की कीमत अच्छे से पता होती है।सुनने में यह भी आ रहा है कि जनता द्वारा चुने गए विधायक की भी जल बोर्ड नहीं सुन रहा है।
इसमें दो बात हो सकती है एक या तो विधायक अपने ताकत को नहीं दिखाना चाह रहे है या फिर विधायक भी अब मजबूर हो गए है जबकि इतने कमजोर विधायक है नहीं।अगर क्षेत्र की जनता के समस्या का निदान अतिशीघ्र दीपावली से पहले किया नहीं गया तो इसका विरोध जल बोर्ड षड्यंत्रकारों को झेलना पड़ेगा। जल बोर्ड के हित के लिए अच्छा होगा कि जल बोर्ड दीपावली और छठ पर्व के पर्व को देखते हुए गाड़ियों को संख्या शीघ्र ही बढ़ाए क्योंकि आने वाले दोनों पर्वो में पानी की अधिक आवश्यकता होती है।
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