इटियाथोक में विधायक डॉ. पल्लवी पटेल का धरना: प्रशासन पर लापरवाही का आरोप, दो घंटे तक जाम रहा गोंडा-बलरामपुर मार्ग
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गोंडा। इटियाथोक स्थित बंधुकपुरवा गांव में सिराथू विधानसभा की विधायक डॉ. पल्लवी पटेल ने गोंडा-बलरामपुर मुख्य मार्ग को जाम कर दिया। उन्होंने प्रशासन पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए यह कदम उठाया। विधायक एक हत्या के पीड़ित परिवार से मिलने पहुंची थीं, जिसके बाद उन्होंने धरना प्रदर्शन शुरू कर दिया। यह धरना लगभग दो घंटे तक चला।यह मामला 4 सितंबर की शाम का है, जब 15 वर्षीय मंगल देव को गोली मार दी गई थी। गोंडा मेडिकल कॉलेज के चिकित्सकों ने उसे मृत घोषित कर दिया था। पीड़ित पिता की तहरीर पर महादेवा कला निवासी संदीप मिश्रा के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज किया गया था और आरोपी को 48 घंटे के भीतर गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया था।
शनिवार को अपना दल की नेता डॉ. पल्लवी पटेल पीड़ित परिवार से मिलने गांव पहुंचीं। उन्होंने पुलिसकर्मियों पर नाराजगी व्यक्त की और कहा कि सूचना देने के बावजूद कोई कर्मचारी नहीं पहुंचा। इसके बाद उन्होंने पीड़ित परिवार को आर्थिक सहायता भी प्रदान की। थोड़ी देर बाद, विधायक अपने समर्थकों के साथ वाहन में बैठने के बजाय गोंडा-बलरामपुर मार्ग पर धरने पर बैठ गईं। मौके पर मौजूद पुलिस प्रशासन के लोग इस कदम से अवाक रह गए। गांव की महिलाएं और पुरुष भी इस धरने में शामिल हो गए। सीओ सदर विनय सिंह के नेतृत्व में धानेपुर, खरगूपुर, मोतीगंज और इटियाथोक सहित चार थानों की पुलिस ने मोर्चा संभाला।
पुलिस और कर्मचारियों ने विधायक को समझाने का काफी प्रयास किया, लेकिन वह अपनी मांगों पर अड़ी रहीं। उनकी मांगों में पीड़ित परिवार को एक करोड़ रुपये का मुआवजा, परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी, रहने के लिए आवास और आरोपी के मामले की फास्ट ट्रैक कोर्ट में सुनवाई शामिल थी। करीब दो घंटे बाद, उपजिलाधिकारी अशोक गुप्ता ने 30 दिन के भीतर आवास और रेड क्रॉस सोसाइटी के माध्यम से मुआवजा देने का लिखित आश्वासन दिया, जिसके बाद धरना समाप्त हुआ। इस धरने के कारण सड़क के दोनों ओर लगभग दो किलोमीटर लंबा जाम लग गया, जिससे यात्रियों को परेशानी का सामना करना पड़ा।
क्या यह धरना न्याय के लिए था या जातीय राजनीति का प्रदर्शन?
स्थानीय जनता के बीच इस धरने को लेकर दो तरह की प्रतिक्रियाएँ देखने को मिलीं। एक पक्ष का मानना है कि विधायक ने पीड़ित परिवार के न्याय की लड़ाई को आवाज दी, क्योंकि गरीब परिवारों की सुनवाई अक्सर देर से होती है। वहीं दूसरी ओर कुछ लोगों का कहना है कि जब आरोपी पहले ही गिरफ्तार होकर जेल भेजा जा चुका था, तब सड़क जाम कर जनता को परेशान करना राजनीतिक और जातीय संदेश देने का प्रयास प्रतीत होता है।
गांव के क्षेत्र के लोगों का कहना है कि इस घटना को “सामाजिक न्याय बनाम जातीय राजनीति” के चश्मे से देखा जा रहा है। उनका कहना है कि यदि प्रशासन ने घटना के तुरंत बाद राहत और सहायता दी होती, तो विधायक को सड़क पर उतरने की आवश्यकता नहीं पड़ती। हालांकि, कई लोग यह भी मानते हैं कि विधायक का धरना आने वाले चुनावों से पहले अपनी राजनीतिक पहचान और सामाजिक आधार को मजबूत करने की रणनीति भी हो सकता है। इस तरह, यह धरना अब केवल एक हत्या की घटना का विरोध न रहकर राजनीति और सामाजिक समीकरणों की नई बहस का केंद्र बन गया है।
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