80% पंचायत भवनों में ताले बंद, सुविधाएं ठप — फिर भी सहायक पंचायतों को हर महीने मानदेय का भुगतान
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बलरामपुर। जनपद बलरामपुर में पंचायत व्यवस्था की हकीकत शर्मनाक तस्वीर पेश कर रही है। जिले की लगभग 80 प्रतिशत ग्राम पंचायतों में बने पंचायत भवन महीनों से तालेबंद पड़े हैं। न तो इन भवनों का नियमित उपयोग हो रहा है, न ही यहां कोई सरकारी या जनकल्याणकारी गतिविधि संचालित की जा रही है। बावजूद इसके, सहायक पंचायत सचिवों को हर महीने पूरा मानदेय बिना किसी कार्य के भुगतान किया जा रहा है।
ग्राम पंचायतों में लाखों रुपये की लागत से बने पंचायत भवन अब खंडहर बनने की कगार पर हैं। कई भवनों में झाड़ियां उग आई हैं, कहीं दीवारों से प्लास्टर झड़ रहा है तो कहीं छत टपकने लगी है। ग्रामीणों का कहना है कि पंचायत भवनों के ताले महीनों से नहीं खुले, यहां न तो बैठकों का आयोजन होता है और न ही कोई विकास कार्य की समीक्षा।
सबसे बड़ी विडंबना यह है कि इन पंचायतों में तैनात सहायक सचिव कार्यालय नहीं आते, फिर भी वेतन हर महीने जारी हो रहा है। यह स्थिति न सिर्फ शासन की योजनाओं की पोल खोलती है बल्कि जिम्मेदार अधिकारियों की लापरवाही को भी उजागर करती है।
ग्राम पंचायतों के कई सदस्यों ने आरोप लगाया है कि सचिव और सहायक सचिव सिर्फ वेतन लेने आते हैं, काम के नाम पर कुछ नहीं करते। इससे ग्रामीण योजनाओं के संचालन और शिकायत निस्तारण में भारी दिक्कतें आ रही हैं।
ग्रामीणों ने जिलाधिकारी से मांग की है कि ऐसे पंचायत भवनों का निरीक्षण कर गैरहाजिर सहायक सचिवों के खिलाफ कार्रवाई की जाए और पंचायत भवनों को सक्रिय किया जाए ताकि ग्रामीणों को सुविधाओं का वास्तविक लाभ मिल सके।
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