किसानों पर गिरी चारों तरफ से गाज कोई सुविधा नहीं गन्ना से लेकर धान की फसल हुई बर्बाद
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बरेली/इस क्षेत्र में सबसे अधिक किसान गन्ना की फसल उगाते थे जिसके खरीदने के लिए चीनी मिले बनी थी चीनी मिलों ने भी किसानों का गन्ना लेने के बाद भुगतान न देना प्रारंभ कर दिया जिससे किसानों की कमर टूट गई इधर किसानो की खड़ी गन्ने की फसल में सडन की बीमारी पैदाहुई जिससे किसानों की फसल नष्ट हो गई तो किसानों पर दोहरी मार पड़ी एक तरफ चीनी मिलों ने गन्ना लेने के बाद भुगतान नहीं दिया ।
दूसरी तरफ पैदा की गई फसल खेतों में सूख गई तो किसानों ने अपना रुख गन्ना की तरफ से बदल कर धान की फसल को उगाना प्रारंभ किया परंतु अब किसानों के खेत में खड़ी धान की फसल भुंन्का जैसी बीमारी उत्पन्न हो गई है जिसके तहत किसानो की धान की तैयार फसल खेतों में बुरी तरह से गिरकर नष्ट हो गई जिसके कारण किसान बर्बाद होता जा रहा है इस बीमारी का कृषि विभाग के पास भी कोई ठोस साधन नहीं है जिससे किसानों की फसल बचाई जा सके ।
इसी तरह गन्ने की फसल को लेकर भी किसान काफी चिंतित रहा गन्ना विभाग ने भी कोई मजबूत उपाय नहीं खोज पाया केवल एक बात कह दी गई जिस गन्ने में बीमारी लग रही है उस प्रजाति को किसान भाई ना बोले किसान गन्ने की खेती से तो उभरा नहीं परंतु अव धान में भी लगी संक्रामक बीमारी जिसके तहत किसानों के लैलहाते धान के खेत इस बीमारी की चपेट में आकर पूरी तरह से पर नष्ट हुए हैं जैसे खड़ी फसल में किसी ने पाटा लगा दिया हो।
ऐसी स्थिति में किसान के आगे अब हाथ पै हाथ रखे बैठे रहने के सिवा कोई भी उपाय नहीं बचा है परंतु सबसे आश्चर्य जनक बात यह है किसानों द्वारा कृषि ऋण लिया गया सभी किसानों के फसली बीमा भी किए जा चुके हैं परंतु उसका मुआवजा किसी भी किसान को नहीं दिया जा सका है बैंक कहती है केसीसी का ऋण गन्ने की फसल पर दिया गया है परंतु गन्ना का बीमा नहीं होता है ।
धान की फसल नष्ट होने पर कह देती है धान गेहूं की फसल पर हमने केसीसी का कर्ज़ नहीं दिया है ऐसी स्थिति में किसानों के साथ चारों तरफ से अपेक्षा ही अपेक्षा मिल रही है जिसके कारण किसानो की बर्बादी होती जा रही है परंतु उसकी इस दुर्दशा पर कोई भी गौर नहीं किया जा रहा है जिसके कारण वह बर्बाद होता जा रहा है किसानों ने शासन से मांगती है उनके साथ भी न्याय संगत कार्य किया जाए ताकि वह अपनी जीविका को आसानी से चला सके कहने को कृषि प्रधान देश है पर सुविधा कोई भी नहीं है।
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