वायदों का बाजार है चुनाव
अपनी घोषणाओं से पहले पूरे आंकड़े प्रस्तुत कर रही थी कि दिल्ली के खजाने में इतना पैसा ही नही है।
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(नीरज शर्मा'भरथल')
लगता है की पूरा देश ही वायदों पर चल रहा है। हर चुनाव से पहले लोक लुभाने वायदे किए जाते हैं। एक पार्टी कुछ वायदा करती है दूसरी पार्टी उस से भी बड़ा वायदा कर देती, तीसरी पार्टी और दो-तीन चीजे बीच में बड़ा देती है। वायदे चुनावो में किए जाते है, फिर भूला दिए जाते हैं। जो पार्टी दिल्ली चुनावों में केजरीवाल के वायदों का यह कह कर विरोध कर रही थी कि पैसा कहां से आएगा,
अपनी घोषणाओं से पहले पूरे आंकड़े प्रस्तुत कर रही थी कि दिल्ली के खजाने में इतना पैसा ही नही है। अब वही पार्टी अपने विरोधी से बड़े वायदे कर रही है। उन्हे भी पता है और जनता को भी पता है कि वायदे तो बस वायदे हैं। चुनावों के बाद यही वायदे चुनावी जुमले करार दे दिए जाएगे। अगर इन वायदों में कुछ दम होता तो आज आजादी के 75 सालों बाद भी बिजली, पानी, सड़क, बेरोजगारी मूल मुद्दो में शामिल नही होते। जनता हर बार ऐसे वायदों को सुनती है और चुनावों के बाद इन वायदों के लालच में चुनी सरकार के कार्यों को देख अपना माथा पीटती है।
आज चुनावों में बड़ी-बड़ी पार्टियों के उम्मीदवार करोड़ो रूपए पार्टी फंड के नाम पर देकर टिकट लेकर आते हैं, अब सोचने की बात यह है जो प्रत्याशी इतना पैसा खर्च टिकट ला रहा है वो जनता से किए वायदे पूरे करने के लिए जोर लगाएगा या अपनी 'इंवेस्टमेंट' को प्रॉफिट सहित निकालने की सोचेगा। जिस उम्मीदवार को जनता जिताकर भेजती है वही चुनाव जीतने के बाद जनता को अगूंठा दिखा वायदों को जुमला बता अपना पिंड छुटा लेता है। असल में जनता को यह चाहिए चुनावों के दौरान उम्मीदवारों से उनके और उनकी पार्टी के नए वायदों को एक तरफ रख पुराने वायदों के बारे में पूछे की उनका क्या हुआ।
परन्तु असल हालत यह है कि जनता भी जानती है की यह वायदों का बाजार सिर्फ चुनावों में ही गर्म होता। वोटों के बाद इनके पूरा होने की उम्मीद बबूल से आम की उम्मीद करने जैसा है। जनता को पता है यह सब सच नही है, जैसे एक बालीवुड फिल्म में एक हीरो तीस-तीस मंजिल की बिल्डिंग से कूद जाता है, पचास - पचास गुंडों को अकेला मार देता है ऐसा ही झूठ यह है। जनता उस बालीवुड झूठ को भी पैसा खर्च कर सफल बनाती है। ऐसे ही जनता इस राजनीति की फिल्म के झूठ को भी वोट डाल कर सफल बनाती है। दिल्ली विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस ने अपने-अपने घोषणापत्र जारी कर दिए हैं।
तीनों ही दलों ने मुफ्त सुविधाएं देने का ऐलान किया है। इन दलों ने सीधे कैश देने की प्रथा को जारी रखा है। पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने वायदा किया है कि अगर दिल्ली में आप की सरकार फिर से बनती है तो महिलाओं को 2100 रुपये की मासिक मदद उपलब्ध कराएंगे। आम आदमी पार्टी ने बुजुर्गों के लिए संजीवनी योजना की भी घोषणा की है। इस योजना के तहत 60 साल से अधिक उम्र के बुजुर्गों को मुफ्त इलाज का वायदा किया गया है। इस स्कीम के आधार पर इलाज सरकारी और प्राइवेट दोनों तरह के अस्पतालों में उपलब्ध होगा। आम आदमी पार्टी ने दिल्ली के पुजारियों और ग्रंथियों के लिए भी घोषणा की है।
पार्टी ने कहा कि अगर उनकी सरकार बनी तो वह मंदिर के पुजारियों और गुरुद्वारे के ग्रंथियों को 18 हजार रुपये हर महीने सम्मान राशि के तौर पर दी जाएगी। दिल्ली चुनाव में इस बार कांग्रेस भी पूरे दमखम के साथ मैदान में उतरी है। अपनी खोई हुई जमीन पाने के लिए कांग्रेस भी कई चुनावी घोषणाएं कर रही है। पार्टी ने बेरोजगार युवकों को 8500 रुपये हर महीने देने की बात कही, इसके साथ ही बेरोजगार नौजवानो को एक साल की अप्रेंटिसशिप उपलब्ध करवाने की घोषणा भी की है। इस योजना का मकसद नौजवानो के लिए रोजगार के अवसर उपलब्ध कराना है। कांग्रेस ने पूर्वांचली वोटरों को आकर्षित करने के लिए छठ पर्व को महाकुंभ के तर्ज पर आयोजित करने का ऐलान किया है। पार्टी ने कहा कि यमुना किनारे इसके लिए जगह निर्धारित की जाएगी और इसका नाम दिवंगत लोक गायिका शारदा सिन्हा के नाम पर रखा जाएगा।
कांग्रेस ने दिल्ली वालों को महंगाई से राहत देने के लिए 500 रुपये में एलपीजी सिलेंडर देने का वायदा किया है साथ ही साथ मुफ्त राशन किट और 300 यूनिट तक फ्री बिजली देने का वायदा भी किया है। बीजेपी ने दिल्ली की महिलाओं को 2500 रुपये हर माह देने की घोषणा की है। इसके अलावा 500 सौ रुपये में गैस सिलेंडर और होली-दीपावली पर दो मुफ्त सिलेंडर का भी वायदा किया है। इसके साथ ही गर्भवती महिलाओं को 21 हजार रुपये नकद देने का ऐलान किया गया है। दिल्ली के बुजुर्गों के लिए बीजेपी ने खास ऐलान किया है। 60 से 70 आयु के बुजुर्गों की पेंशन 2000 से बढ़ाकर 2500 की जाएगी।
वहीं 70 से अधिक आयु के बुजुर्गों, विधवाओं और दिव्यांगों के लिए 3000 रुपये मासिक पेंशन का वायदा घोषणापत्र में किया गया है। बीजेपी ने सरकार बनते ही दिल्ली में आयुष्मान योजना को लागू करने की बात कही है। इसके साथ ही 70 से अधिक उम्र के बुजुर्गों के लिए भी 10 लाख रुपये का स्वास्थ्य बीमा देने का ऐलान भी किया है।
सभी दलों की घोषणाए सुन ऐसा लगने लगा है कि सरकार किसी की भी आये दिल्ली के आम लोगो का भला पक्का हो कर रहेगा परन्तु जैसे ही इन नेताओं के पुराने वायदों को याद करते है होती भलाई का भ्रम हवा हो जाता है। यह निश्चित है जनता का भला हो या ना हो पर इन वायादे-ऐलानो के सहारे नेताओं की भलाई होना सुनिश्चित है। जनता सब समझती है पर बोलती कुछ नही, जिस दिन जनता बोलने लग गई और नेता से उनके वायदों पर सवाल पूछने लग गई। उस दिन इन वायदों के बाजार पर ताला लगने में देर नही लगेगी।
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