मानवाधिकार जागरूकता सभा का आयोजन
अम्बेडकरनगर।
हमारे अधिकार, हमारा भविष्य, अभी को लेकर मानवाधिकार जागरूकता सभा का आयोजन नसीरपुर कैथी मे हुआ। जहां अकबरपुर विकास खण्ड के ताराखुर्द व चन्दनपुर न्याय पंचायत के 8 ग्राम पंचायतों के 100 से अधिक महिलाओं पुरुषों व सामाजिक कार्यकर्ताओ ने प्रतिभागिता कर जन अधिकारो की बहाली व हकदारी करने का संकल्प लिया।
किशोरी बालिका सशक्तिकरण कार्यक्रम अम्बेडकरनगर व जन विकास केन्द्र भितरीडीह द्वारा आयोजित कार्यक्रम को सम्बोधित करती हुई केन्द्र सचिव गायत्री ने बताया कि मानवाधिकार दिवस हर साल 10 दिसंबर को अंतरराष्ट्रीय समुदाय द्वारा मनाया जाता है। यह उस दिन की याद दिलाता है जब 1948 में संयुक्त राष्ट्र महासभा ने मानवाधिकारों की सार्वभौमिक घोषणा को अपनाया था। ये सार्वभौमिक अधिकार हम सभी में निहित हैं, चाहे हमारी राष्ट्रीयता, लिंग, राष्ट्रीय या जातीय मूल, रंग, धर्म, भाषा या कोई अन्य स्थिति कुछ भी हो। ये सबसे बुनियादी अधिकार - जीवन के अधिकार - से लेकर उन अधिकारों तक हैं जो जीवन को जीने लायक बनाते हैं, जैसे भोजन, शिक्षा, काम, स्वास्थ्य और स्वतंत्रता के अधिकार हैं। मानवाधिकार रक्षक मनोज कुमार ने बताया कि मानवाधिकारों की सार्वभौम घोषणा की 10 दिसंबर 1948 को संयुक्त राष्ट्र महासभा के अंगीकरण और उद्घोषणा का सम्मान करने के लिए तिथि का चयन किया गया था। उन्होंने आगे कहा कि मौलिक अधिकार किसी देश के नागरिकों के वे अधिकार हैं जो संविधान में वर्णित हैं और कानून द्वारा लागू किए जाते हैं। दूसरी ओर, मानवाधिकार वे सुरक्षा उपाय हैं जो एक इंसान सम्मान और समानता के साथ जीने के लिए चाहता है।
मानवाधिकार प्रत्येक व्यक्ति के अंतर्निहित मूल्य को पहचानते हैं, चाहे उसकी पृष्ठभूमि कुछ भी हो, हम कहाँ रहते हैं, हम कैसे दिखते हैं, हम क्या सोचते हैं या हम क्या मानते हैं। वे गरिमा, समानता और आपसी सम्मान के सिद्धांतों पर आधारित हैं, जो संस्कृतियों, धर्मों और दर्शनों में साझा किए जाते हैं।
सभा में अनुपम ने सभी को भारतीय संविधान मे वर्णित मौलिक अधिकारों पर जानकारी दिया व संविधान की प्रस्तावना का संकल्प दिलवाया। जागरूकता सभा के सत्रों का संचालन देपेश श्रीवास्तव ने किया।
जागरूकता सभा को सफल बनाने में निरकला छोटेलाल शीला ध्रुव सुमन अंगद अंजू विजेंदर अमरावती राजकुमार नीशा आदि ने महत्वपूर्ण योगदान दिया।
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