कानपुर के जाजमऊ में मदरसे में नर कंकाल मिलने का मामला,कौन और कहां का, पता अब तक नहीं

 4 साल से बंद मदरसे में नर कंकाल मिलने की अब तक की जांच पड़ताल में पता नहीं चल पाया मरने वाला कौन और कहां का ? पुलिस ने तेज की छानबीन 

कानपुर के जाजमऊ में मदरसे में नर कंकाल मिलने का मामला,कौन और कहां का, पता अब तक नहीं

कानपुर। यहां 4 साल से बंद मदरसे में नर कंकाल मिलने का मामला चर्चा का विषय बना हुआ है। फिलहाल पुलिस अब तक की छानबीन मेंया पता नहीं लगा पाई है कि मरने यानी हत्या का शिकार हुआ कौन और कहां का रहने वाला है। इस मामले में पुलिस की छानबीन लगातार जारी है।  यह चर्चित मामला जाजमऊ के पोखरपुर फार्म रोड पर चार साल से बंद पड़े मदरसे का है। मदरसे में क्लास रूम के पीछे एक किचन बना है। इसके सामने छोटा सा कमरा है जिसमे बच्चे का कंकाल मिला है। इस छोटे कमरे पर खिड़की भी लगी है। इसके अलावा मदरसे में पीछे खुले मैदान की ओर एक दरवाजा भी है लेकिन, इसमें अंदर से ताला बंद है। इसकी सूचना पर फॉरेंसिक टीम संग मौके पर पहुंची पुलिस ने जांच पड़ताल कर साक्ष्य एकत्रित किए। शव को पोस्टमॉर्टम के लिए भेजा गया है। साथ ही डीएनए सैंपल भी लिया गया है।
 
 इस घटना के बारे में प्राप्त विवरण के मुताबिक नई सड़क निवासी परवेज अख्तर ने वर्ष 2015 में मदरसा कदरिया उलूम का संचालन शुरू किया था। इसमें आसपास के प्राइमरी स्तर के करीब 70 से 80 बच्चे पढ़ते थे। 100 वर्गगज में बना दो मंजिला मकान परवेज ने बेकनगंज निवासी अपने ससुर शब्बीर अहमद से लिया और उसे कदरिया उलूम नाम देकर मदरसा संचालन शुरू किया। करीब चार साल पहले कोरोना काल में मदरसे का संचालन बंद कर दिया गया था। इसके बाद परवेज की कैंसर की चपेट में आने से जून 2022 में मौत हो गई थी। मौके पर पहुंची पुलिस को परवेज के बेटे हमजा ने बताया कि दो साल पहले भी मकान का ताला टूटा होने की जानकारी पर आए थे। उस दौरान उन्होंने दूसरा ताला बंद कर दिया था। 
 
 पुलिस को हम जान जो जानकारी दी है उसके मुताबिक केडीए निवासी उनका ममेरा भाई अनस सड़क से निकला तो मकान का ताला टूटा देख वह आसपास के लोगों के साथ मकान में दाखिल हुआ। पीछे के कमरे में एक बच्चे का कंकाल पड़ा हुआ था।  इसकी सूचना पर फॉरेंसिक टीम संग मौके पर पहुंचे एडिशनल डीसीपी राजेश श्रीवास्तव, एसीपी कैंट अजय मिश्रा ने जांच पड़ताल कर साक्ष्य जुटाए। यह घटना बहुत चौंकाने वाली भीइसलिए है क्योंकि ब्लैक बोर्ड में क्लास वर्क में 20/05/2022 की तारीख लिखी है, जबकि परिवार और रिश्तेदारों का दावा है कि कोरोना काल से पढ़ाई बंद है। ऐसे में सवाल उठता है कि उस दिन कौन पढ़ा गया। फिलहाल पुलिस इस सवाल का जवाब खोजने के साथ भी घटना की जांच पड़ताल में लगातार जुटी हुई है।

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