शारदीय नवरात्रि पर मां कामाख्या धाम पर उमड़ रही श्रद्धालुओं की भीड़
देश के कोने-कोने से पहुंच रहे श्रद्धालु मान्यता है इस मंदिर पर पूरी होती है भक्तों की सभी मुरादे
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संतान प्राप्ति, नेत्र ज्योति, धन प्राप्ति, सहित मन वांछित फल की होती है प्राप्ति
अमेठी। शारदीय नवरात्रि पर जनपद के विभिन्न शक्ति स्वरूपा मां भवानी के मंदिरों पर भक्तों की भारी भीड़ उमड़ी। जहां प्रमुख रूप से दुर्गंन भवानी, आहोरवा भवानी, मां कामाख्या मंदिर पर श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ी, मान्यता है कि तीनों मंदिरों पर भक्तों द्वारा मांगी गई सभी मुरादे पूरी होती है, यह तीनों मंदिर अति प्राचीन मंदिर है। जिसमें दुर्गंन भवानी अमेठी में स्थित है, मां अहोरवा भवानी इन्हौना क्षेत्र में स्थित है, तथा मां कामाख्या धाम सुनवा में स्थित है जो मौजूदा समय में अयोध्या जनपद में आता है बताते चले।चार जिलों की सीमा पर स्थित मां कामाख्या भवानी मंदिर शक्ति उपासना का प्रमुख केंद्र है। अमेठी जनपद के बॉर्डर पर स्थित मवई ब्लॉक के सुनवा के घने जंगलों में स्थित प्राचीन सिद्धपीठ कामाख्या भवानी के कपाट दिन में कभी बंद नहीं किये जाते।
नवरात्रि के दिनों में यहां मेले जैसा माहौल रहता है। वासंतिक व शारदीय नवरात्रि में सूबे के कई जिलों से यहां भक्त पूजन-अर्चन को आते हैं।दुर्गा सप्तशती के प्रथम अध्याय में मां कामाख्या भवानी का जिक्र मिलता है। राजा सुरथ व समाधि वैश्य की तपस्या का स्थल यही बताया जाता है। उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर माता ने उन्हें इसी स्थान पर दर्शन दिया था। माना जाता है कि तभी से यहां मां महाकाली, महासरस्वती व महालक्ष्मी पिण्डी रूप में विराजमान हैं। कामाख्या मंदिर परिसर में राजा सुरथ व समाधि वैश्य की मूर्ति अक्षयवट के नाम से वर्तमान समय में भी स्थित है।
मंदिर का जीर्णोद्धार राजा दर्शन सिंह ने कराया था माना जाता है कि राजा दर्शन सह अपने सैनिकों के साथ यहां से गुजर रहे थे। इसी दौरान किसी ने उन्हें यहां मनोकामना पूर्ण करने वाली देवी की जानकारी दी राजा दर्शन सिंह की कामना भी पूर्ण हुई इसके बाद उन्होंने मंदिर का जीर्णोद्धार कराया। नवरात्रि में मंदिर में माता का दर्शन करने के लिए अयोध्या के साथ ही बाराबंकी, सुल्तानपुर, अमेठी, रायबरेली, अंबेडकर नगर लखनऊ, कानपुर, दिल्ली , कोलकात्ता समेत देश के कोने- कोने के श्रद्धालुओं का आना होता है। वर्ष भर यहां पर विभिन्न प्रकार के धार्मिक आयोजन होते रहते हैं।
माता सदियों से अपने भक्तों की मुरादें पूरी करती आ रही हैं रात में आठ बजे आरती के बाद मंदिर में प्रवेश नहीं किया जाता। सुबह चार बजे मंदिर के कपाट खुल जाते हैं पूरे दिन मंदिर के कपाट खुले रहते हैं।माता की कृपा सदैव बनी रहती है जंगल व निर्जन स्थल पर मंदिर होने के बावजूद किसी भी हिंसक जीव ने मंदिर आने-जाने वाले श्रद्धालुओं पर कभी हमला नहीं किया। माता की कृपा हर भक्त पर रहती हैं इस दौरान जगत जननी मां जगदंबिका के विभिन्न स्वरूपों की पूजा की जाएगी। मंदिर के प्रमुख पुजारी कहते हैं जिसे नेत्र ज्योति की समस्या हो मंदिर का नीर लगा लेने से ठीक हो जाता है, जिन्हें संतान की प्राप्ति ना हो उन्हें यहां आने से संतान की प्राप्ति होती है सभी मनोकामनाओं को पूर्ण करने वाली मां कामाख्या देवी है।
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