जलेबी सिर्फ मिठाई ही नहीं बल्कि आयुर्वेदिक औषधि
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वृजनाथ त्रिपाठी
गोलाबाज़ार गोरखपुर 22 सितंबर। जलेबी सिर्फ मिठाई ही नही यह एक राजशाही पकवान है जिसे दूध दही या रबड़ी से खाया जाता है।उसके साथ साथ आयुर्वेदिक औषधि भी है। जलेबी एक भारतीय व्यंजनके साथ साथ है जलोदर नामक बीमारी का इलाज में प्रयोग की जाती थी
शुगर बीमारी को नियंत्रित करने के लिए जलेबी को दही से खाते थे।
खाली पेट दूध जलेबी खाने का उपयोग वजन और लम्बाई बढ़ाने के लिए किया जाता था ।
माइग्रेन की और सिर दर्द के लिए सूर्योदय से पहले दूध जलेबी खाने को आयुर्वेद में लिखा है
ग्रह शांति अथवा ईश्वर का भोग में जलेबी से। आदि गुरु शंकराचार्य द्वारा लिखित देवी पूजा पद्धति में भगवती को बिरयानी यानी हरिद्रान पुआ जलेबी भोग लगाने के विषय में लिखा है
जलेबी माता भगवती को भोग में चढ़ाने की प्रथा है।
इमरती जो की उडद दाल से बनती है वो शनिदेव के नाम पर हनुमान जी या पीपल वृक्ष या शनि मंदिर में चढ़ाने काले कौवा और कुत्ते को खिलाने से शनि का प्रभाव कम होता है। हमारे प्राचीन ग्रंथ में जलेबी बनाने की विधि संस्कृत भाषा में लिखी है साथ हीजलेबी बनाने की विधि पुराणों में भी है इसे रस कुंडलिका नाम दिया है
भोज कुतुहल में इसे जल वल्लीका नाम दिया है
गुण्यगुणबोधिनी' में भी जलेबी बनाने की विधि लिखी है । सबसे बड़ी बात की जलेबी कुंडली के आकार की की होती है जिसका संबंध आंतो से है। कब्ज का यह रामबाण इलाज है
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