नफरत फैलाने की साजिश है गणेश पूजा पर पत्थरबाजी !
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भारत में इन दिनों गणेशोत्सव को लेकर देश के कई हिस्सों में गणेश पूजा पंडालों व विसर्जन जुलूसों पर एक समुदाय विशेष के शरारती तत्वों द्वारा पत्थरबाजी की घटनाएँ सामने आ रही हैं। जिस तरह नियोजित ढंग से मध्य प्रदेश, गुजरात यूपी बिहार राजस्थान से लेकर कर्नाटक तक इस आयोजन में पत्थरबाजी की वारदातों को अंजाम दिया गया है उसे देखते हुए लगता है कि कुछ लोगों ने जानबूझकर यह नया शरारती प्रयोग शुरू किया गया है. जो देश में भविष्य में आने वाले श्रीरामलीला श्रीरामबारात दुर्गा पूजा आदि उत्सवों व शोभा यात्राओं के लिए भी खतरे की घंटी दे रहा है। आपको बता दें कि राजस्थान में भीलवाड़ा मध्यप्रदेश में रतलाम उत्तर प्रदेश में महोबा फर्रूखाबाद लखनऊ कर्नाटक के मांडया गुजरात के कच्छ सूरत भड़ूच बिहार के औरंगाबाद समेत दर्जनों जिलों के शहर कस्बों में गणेश उत्सवों के दौरान धर्म विशेष के उपद्रवियों द्वारा पत्थरबाजी की घटनाओं को अंजाम दिया गया है।
देश के कई प्रदेशों के अलग अलग शहर कस्बों में हुई इन पत्थरबाजी की घटनाओं में कई जगह पत्थरबाजी के लिए मुस्लिम नाबालिग छोटे किशोर वय लड़कों को इस्तेमाल किया गया और गणेश पंडालों, गणेश मूर्तियों और हिंदू भक्तों पर पत्थर फेंके गए।गणेश उत्सवों के बीच देश के विभिन्न हिस्सों से पत्थरबाजी और हंगामे की खबरें काफी चिंता जनक और चौकाने वाली हैं । आइए अब आप को सिलसिलेवार संक्षेप में जानकारी देते हैं हाल में उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के चिनहट में एक घर में स्थापित की गयी गणेश जी की मूर्ति पर पत्थर फेंके गये हैं। पत्थरबाजी कुछ नाबालिग मुस्लिम लड़कों ने की इस शरारत में गणेश प्रतिमा के पास रखा कलश खंडित हो गया व अन्य सामान क्षतिग्रस्त हो गया। वारदात को लेकर श्रद्धालुओं ने हंगामा किया दो नाबालिगो को पुलिस ने हिरासत में लिया।
गुजरात के सूरत में दो मुस्लिम महिलाओं रुबाइना पठान और लाइमा शेख को उनके नाबालिग लड़कों को गणेश मूर्तियों पर हमला करने के लिए उकसाने के इल्ज़ाम में गिरफ्तार किया गया है यहां सूरत में एक गणेश पंडाल पर पथराव किया गया। घटना सैयपुरा इलाके की है, जहां पर गणेश प्रतिमा स्थापित की गई थी। देर रात झुंड में आए कुछ लोगों ने पंडाल पर पथराव किया इनमें नाबालिग शामिल थे और गणेश मूर्ति पर पत्थर फेंके गए। इस घटना से इलाके में तनाव फैल गया। सैकड़ों लोगों ने थाने का घेराव किया। देर रात तक बवाल चलता रहा। पुलिस ने लोगों को नियंत्रित करने के लिए आंसू गैस के गोले छोड़े और लाठी चार्ज किया। रातभर ताबड़तोड़ कार्रवाई के बाद पुलिस ने पथराव करने वाले समुदाय विशेष के 27 लोगों को हिरासत में लिया ।गुजरात में एक तरफ गणेश महोत्सव चल रहा है और वहीं दूसरी ओर हिन्दुओं के इस त्यौहार के दौरान राज्य की शांति को भंग करने का प्रयास किया गया।
यहां तीन दिन में चार बार हिन्दुओ की आस्था के साथ खिलवाड़ कर अराजकता करने का प्रयास किया गया। सबसे पहले सूरत में शरारत के बाद बड़ौदा और भरूच और कच्छ में भी ऐसी ही घटना सामने आई है।कच्छ में सूरत पैटर्न से चार नाबालिग बच्चों ने गणेश मूर्ति खंडित की। यह घटना कच्छ के नखत्रणा तालुका के कोटड़ा जड़ोदर गांव में 10 सितंबर की देर रात सूरत पैटर्न से ही शांति भंग का प्रयास किया गया। गांव में गणेश पंडाल में चार मुस्लिम बच्चों ने गणेशजी की मूर्ति पर पथराव कर उसे नुकसान पहुंचाया, जिसके चलते गणपति प्रतिमा खंडित हो गई। इसके अलावा एक हिन्दू मंदिर पर हरे रंग का झण्डा भी फहराया गया। दोनों घटना के चलते स्थानीय गांववालों ने पुलिस में शिकायत दर्ज करवाई। पुलिस ने जाँच के बाद सात लोगो को गिरफ्तार कर लिया है। मंदिर पर हरा झण्डा फहराने के मामले में पुलिस ने चार लोगों को दबोच लिया है। अभी गांव में पुलिस तैनात कर दी गई है और गांव में शांति बनी हुई है। कच्छ के स्थानीय कोर्ट ने पथराव के लिये जिम्मेदार चार बच्चों को राजकोट जुवेनाइल होम में भेजने का आदेश दिया है।
मध्य प्रदेश के रतलाम में भगवान गणेश की शोभायात्रा पर पथराव हुआ है। पथराव के बाद शहर में महत्वपूर्ण स्थानों पर भारी सुरक्षा बल तैनात किया गया है। यह घटना मोचीपुरा इलाके में हुई। बताया जा रहा है कि कुछ लोग 10 दिवसीय गणेश उत्सव के लिए भगवान गणेश की मूर्ति ले जा रहे थे।फिलहाल इस मामले में पुलिस ने 3 लोगों को हिरासत में लेकर 13 लोगों के खिलाफ नामजद व 100 से 150 अज्ञात लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया है। दक्षिण भारत में कर्नाटक के मांड्या जिले में गणेश विसर्जन के लिए निकाली गई यात्रा के दौरान बवाल हो गया. आरोप है कि इसके मस्जिद के पास से गुजरते वक्त लोगों पर पथराव किया गया। खबर है कि इस घटना के बाद दो समुदाय के लोग आपस में भिड़ गए। आसपास की दुकानों में तोड़फोड़ और गाड़ियों में आग लगाए जाने की जानकारी भी सामने आई है।
घटना जिले के बदरीकोप्पलु गांव की है. 10 सितंबर को गांव के युवक गणेश विसर्जन के लिए जुलूस निकाल रहे थे. आरोप है कि नागमंगला में मेन रोड पर एक मस्जिद के पास से गुजरते वक्त उन पर पत्थर फेंके गए. इस घटना से हालात बिगड़ गए और दोनों समुदाय के बीच झड़प शुरू हो गई। राजस्थान में भीलवाड़ा में भी धार्मिक जुलूस को लेकर तनाव फैल गया. जहाजपुर में गणेश शोभायात्रा पर पथराव के बाद लोगों में आक्रोश है. इस दौरान गणेश जुलूस निकाल रहे श्रद्धालुओं पर हुई पत्थरबाजी में एक व्यक्ति घायल हो गया. इसके बाद स्थानीय पुलिस ने 12 लोगों को हिरासत में लिया है।इस दौरान दो मस्जिदों को नोटिस देकर उनकी जमीन के दस्तावेज भी मांगे गए हैं।
इस तरह देश के कई शहरों में गणेश उत्सवों में पथराव व हंगामा कर रंग में भंग करने की कोशिश क्या किसी सोची समझी साजिश के तहत अंजाम दी जा रही है? यह जांच का विषय है खासकर काश्मीर के पत्थरबाजों की तर्ज पर नाबालिग लड़कों से गणेश पंडाल और प्रतिमाओं पर पत्थरबाजी कराने के पीछे कौन सी मानसिकता काम कर रही है? कौन लोग हैं जो नाबालिग किशोरों के भीतर हिन्दुओं के खिलाफ नफरत का बीजारोपण कर अराजकता फैलाने का काम कर रहे हैं? क्या यह सारे वाकयात रूटिन में घटित हुई है? इस बात से भी इंकार नहीं किया जा सकता है कि कुछ वारदातों के पीछे शोभायात्रा में शामिल कुछ अतिउत्साही श्रद्धालुओं की हरकतें नारेबाजी दूसरे समुदाय को भड़काने के लिए जिम्मेदार रहीं हो लेकिन नाबालिग बच्चों से पंडाल और प्रतिमाओं पर कई शहर कस्बों में पत्थर फिकवाना धर्म स्थलों की छतों पर ईंट स्टोर कर तैयारी करना दाल में काला होने का पुख्ता हवाला देता है।
कौन लोग हैं जो देश के भीतर सांप्रदायिक बदअमनी फैलाने की साजिश में लगे हुए हैं? सांप्रदायिक सौहार्द को बिगाड़ने के लिए नाबालिग बच्चों का इस्तेमाल कर भविष्य के लिए आत्मघाती बुनियाद रचने के पीछे कौन लोग या संगठन काम कर रहा है? क्या यह लोग भारत के हिन्दू समाज के साथ बंग्लादेश के कट्टरपंथी तत्वों जैसी हरकत नहीं कर रहे हैं इनके मंसूबों को खाद पानी कौन दे रहा है? आप को बता दें कि साल 1893 में लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक ने हिंदुओं को एकजुट करने के लिए गणेशोत्सव को सार्वजनिक रूप से मनाने की परंपरा शुरू की। इसका उद्देश्य हिंदू समाज को एकत्रित करना और सामाजिक एकता को बढ़ावा देना था। लेकिन साल1895 में महाराष्ट्र के धूलिया में गणेश विसर्जन के समय समुदाय विशेष की भीड़ ने हिंदुओं पर हमला किया।
यह हमला तब हुआ जब गणेश प्रतिमा के विसर्जन यात्रा शाही जामा मस्जिद के पास से गुजर रही थी। जैसे ही जुलूस मस्जिद के पास पहुँचा, मुस्लिम समुदाय ने विरोध जताया और हिंसा शुरू कर दी। ब्रिटिश पुलिस ने इस घटना के दौरान भीड़ पर गोली चलाई, जिसमें कई लोग मारे गए। इस घटना ने तिलक के अभियान को और भी मजबूत किया। तिलक ने गणेश उत्सव को न केवल धार्मिक उत्सव, बल्कि हिंदू समाज को संगठित करने और उन्हें आत्मरक्षा के लिए प्रेरित करने का साधन बनाया।
उन्होंने इस घटना के बाद हिंदुओं को और भी बड़े पैमाने पर संगठित करना शुरू किया ताकि सांप्रदायिक हिंसा का सामना किया जा सके। आज करीब 130 साल बीत जाने के बाद भी देश में गणेश उत्सवों पर इस तरह के पथराव और हमले बता रहे हैं कि हमारे समाज में विघटन पैदा करने वाले सांप्रदायिक तत्वों की मौजूदगी आज भी कायम है जिस सांप्रदायिक सद्भाव के लिए गणेशशंकर विधार्थी जैसे सैकड़ों महापुरुषों ने अपना बलिदान तक दिया लेकिन कुछ लोगों की मानसिकता को नहीं बदल सके जरूरत इस बात की है कि ऐसे बदअमनी फैलाने वाले समाजकंटको के खिलाफ सख्त से सख्त कार्यवाही की जानी चाहिए ताकि भविष्य में ऐसी वारदातों की पुनरावृत्ति न हो।
मनोज कुमार अग्रवाल
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं)
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