हरियाणा में छोटे दल भी महत्वपूर्ण, किसका बिगाड़ेंगे खेल 

हरियाणा में छोटे दल भी महत्वपूर्ण, किसका बिगाड़ेंगे खेल 

हरियाणा विधानसभा चुनाव दिलचस्प मोड़ पर आ चुके हैं। और हरियाणा भारतीय जनता पार्टी के तमाम नेता कांग्रेस की तरफ रुख कर रहे हैं। भारतीय जनता पार्टी के लिए हरियाणा विधानसभा का चुनाव बहुत ही महत्वपूर्ण है। पार्टी उत्तर प्रदेश में लोकसभा चुनाव में पिछड़ चुकी है। जबकि हरियाणा में लोकसभा चुनाव में कांग्रेस और भाजपा दोनों को पांच पांच सीटों पर जीत मिली थी। पिछले विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी हरियाणा में अकेले चुनाव लड़ी थी लेकिन इस बार आम आदमी पार्टी और कांग्रेस में समझौता हो गया है। कांग्रेस ने आम आदमी पार्टी के लिए पांच सीटें छोड़ी हैं। यानि कि आप और कांग्रेस के बीच अब वोटों का बिखराव नहीं होगा। आम आदमी पार्टी हालांकि अभी तक हरियाणा में कुछ अच्छा नहीं कर सकी है लेकिन कई सीटों पर उसका प्रदर्शन काफी अच्छा रहा है। हरियाणा में पिछले विधानसभा चुनाव अक्टूबर 2019 में हुए थे जिनमें भारतीय जनता पार्टी ने 40 सीटों पर विजय प्राप्त की थी जब कि जेजेपी ने 10 सीटें हासिल की थीं। किसी भी पार्टी को पूर्ण बहुमत नहीं मिला था। बाद में भाजपा और जेजेपी ने गठबंधन करके सरकार बनाई थी।
 
 पिछले विधानसभा चुनाव में भाजपा को 40, कांग्रेस को 31,जेजेपी को 10,बीएसपी को 1, हरियाणा लोकहित पार्टी को एक, तथा निर्दलीय उम्मीदवारों ने 7 सीटों पर विजय प्राप्त की थी। कांग्रेस भाजपा से 9 सीट पीछे रह गई थी। लेकिन इस बार हरियाणा में एंटी इनकम्बेसी साफ दिखाई दे रही है। क्यों कि लोकसभा चुनाव 24 में कांग्रेस और भाजपा दोनों को पांच पांच सीटों पर विजय हासिल हुई थी। और इस बार आप पार्टी भी कांग्रेस के साथ मिलकर चुनाव लड़ रही है ऐसे में वहां इस बार कांग्रेस का पड़ला भारी दिखाई पड़ रहा है और यही कारण है कि भारतीय जनता पार्टी के तमाम नेता कांग्रेस की तरफ रुख कर रहे हैं। जब नेता पार्टी बदलने लगें तो अंदाजा लगाया जा सकता है कि संकेत अच्छे नहीं हैं। हरियाणा विधानसभा के लिए 5 अक्टूबर को वोटिंग होनी है जब कि मतगणना 8 अक्टूबर को होगी।  हरियाणा में 2024 के लोकसभा चुनावों के परिणाम के अनुसार, भाजपा और कांग्रेस  दोनों ने 5-5 सीटों पर जीत हासिल की है। भाजपा ने जिन पांच सीटों पर जीत दर्ज की वे हैं: भिवानी-महेन्द्रगढ़, गुरुग्राम, फरीदाबाद, करनाल, और कुरुक्षेत्र। वहीं, कांग्रेस ने अंबाला , सिरसा, हिसार, रोहतक, और सोनीपत सीटों पर जीत हासिल की थी। हरियाणा में लोकसभा की कुल दस सीटें हैं जब कि विधानसभा की 90 सीटें हैं जिनके लिए चुनाव होना है।
 
यदि लोकसभा चुनाव के नजरिए से विधानसभा चुनाव पर नजर डालें तो कांग्रेस भाजपा से आगे निकलती दिखाई दे रही है। लेकिन यहां निर्दलीय उम्मीदवारों की उपस्थिति भी काफी मायने रखेगी। पिछली विधानसभा में 7 उम्मीदवार निर्दलीय चुनाव जीते थे। अब देखना यह है कि यह निर्दलीय किस पार्टी का नुक़सान करते हैं। हरियाणा में भारतीय जनता पार्टी को बीच में ही मुख्यमंत्री बदलना पड़ा है। इससे साफ संकेत नजर आ रहा है कि यह मतदाताओं के विरोध के दबाव में ऐसा किया गया है। हरियाणा को लेकर कांग्रेस के हौसले बुलंद हैं। और उसने आप पार्टी को भी पांच सीटें दे दीं हैं। आप ने लोकसभा में गुजरात, मध्यप्रदेश, और पंजाब में अकेले दम पर चुनाव लड़ा था। हालांकि आप को वहां सफलता नहीं मिली थी लेकिन उसने कांग्रेस का नुक़सान तो कर ही दिया था। समाजवादी पार्टी का उत्तर प्रदेश में कांग्रेस के साथ मजबूत गठबंधन है। और सपा ने हरियाणा में चुनाव न लड़ने का फैसला किया है।‌ हालांकि हरियाणा में सपा के पास कुछ ज्यादा है नहीं फिर भी वोटों को काटने का दम तो रखती ही है।
 
 हरियाणा के क्षेत्रीय दल वहां सरकार बनाने में महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं। और पिछले चुनाव में भी ऐसा ही हुआ था। यदि पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को पांच सीटें और अधिक मिल जातीं तो वहां नजारा कुछ और ही होता। चूंकि भारतीय जनता पार्टी और जेजेपी को मिलाकर बहुमत पूरा हो रहा था तो कांग्रेस की बिल्कुल नहीं चली। अन्य छोटे दलों के पास इतनी सीटें नहीं थीं कि वह कांग्रेस का सपोर्ट कर सकें। इसलिए इस चुनाव में भी छोटे दलों की भूमिका महत्वपूर्ण नज़र आ रही है और भारतीय जनता पार्टी इन छोटे दलों पर ही नजर लगाए हुए है। यदि किसी बड़े दल को बहुमत नहीं मिलता है तो इन छोटे दलों की महत्ता बड़ी होने वाली है।
 
हरियाणा में 2024 के विधानसभा चुनावों में बहुजन समाज पार्टी ने इंडियन नेशनल लोकदल  के साथ गठबंधन किया है। यह गठबंधन खास तौर पर जाट और दलित वोट बैंक को एकजुट करने की कोशिश कर रहा है, जो राज्य में एक महत्वपूर्ण चुनावी समीकरण है। यह समीकरण दोनों में से किसी भी पार्टी का खेल बिगाड़ सकता है। चूंकि बसपा मुखिया मायावती इस समय हांसिए पर चल रहीं हैं। क्यों कि उत्तर प्रदेश में उनका जनाधार घटा है। बसपा लोकसभा में शून्य हो गई है जबकि उत्तर प्रदेश विधानसभा में के उसका एक सदस्य है। बसपा इस समय अपना पूरा फोकस दलित वोटों को साधने में दिखाई दे रही है। हरियाणा के पिछले विधानसभा चुनाव में बसपा को एक सीट पर विजय प्राप्त हुई थी तथा कई सीटों पर उसकी अच्छी उपस्थिति थी। इंडियन लोकदल के साथ गठबंधन कर बहुजन समाज पार्टी कांग्रेस पार्टी को तगड़ा झटका दे सकती है। जब कि भारतीय जनता पार्टी के लिए इंडियन लोकदल घातक सिद्ध हो सकती है। कुल मिलाकर हरियाणा विधानसभा चुनाव में छोटे क्षेत्रीय दलों की भुमिका महत्वपूर्ण रहने वाली है।
 जितेन्द्र सिंह पत्रकार

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