अपराधियों के आगे फीकी पड़ रही खाकी की चमक
आंकड़ों में बाजीगरी कर अपना रिकार्ड सुधारने में जुटी खाकी
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रायबरेली में कानून का भय और खाकी का रौब तोड़ रहा दम
तमाम घटनाओं में शामिल अपराधी खुली हवा में ले रहे सांस,वारदात के बाद नाकामी की लकीर पीटने में जुटी पुलिस
रायबरेली। जनपद में अपराध की बाढ़ सी आ गई है।लूट, हत्या, दुष्कर्म, कुकर्म और चोरी की वारदात से लोग दहशत में जीने को मजबूर हैं। एसपी की लचर कार्यशैली के चलते अपराधियों की धरपकड़ तो दूर पुलिस अपराध नियंत्रण नहीं कर पा रही है।आंकड़ों में बाजीगरी कर खाकी अपना रिकार्ड सुधारने में लगी है।एक के बाद एक घटित हो रही आपराधिक वारदातों ने पुलिस की लचर कार्यशैली से पर्दा हटा दिया है।लोग न्याय के लिए भटक रहे हैं।वहीं वारदात के बाद पुलिस नाकामी की लकीर पीटने में जुटी है।
जनपद में अपराधी लगातार आपराधिक वारदात को अंजाम देकर पुलिस को खुली चुनौती दे रहे हैं, लेकिन पुलिस आपराधिक वारदातों का पर्दाफाश करने में असफल साबित हो रही है।इससे अपराधियों व बदमाशों का मनोबल लगातार बढ़ता ही जा रहा है।पुलिस की सुस्त कार्यशैली व आपराधिक घटनाओं का पर्दाफाश नहीं हो पाने से अपराधी बेलगाम होते जा रहे हैं। बीते एक डेढ़ माह में जिले का क्राइम ग्राफ तेजी से बढ़ा है।जनपद में लगातार बढ़ रहा अपराध बताता है कि रायबरेली में कानून का भय और खाकी का रौब दम तोड़ रहा है।
नसीराबाद के पिछवरिया में अर्जुन पासी हत्याकांड, लालगंज में दिनदहाड़े सर्राफा व्यवसाई के साथ लूट व गोलीकांड की दुस्साहसिक वारदात पुलिस की निष्क्रियता का सबसे बड़ा सबूत है।गदागंज पुलिस की कार्यशैली के विरोध में भारी जनसमूह का सड़कों पर उतरना खाकी की मनमानी का प्रमाण है।खीरों थाना क्षेत्र में युवती को शादी का झांसा देकर युवक ने आठ साल तक दुष्कर्म किया।यही नहीं आरोपी ने युवती से ढ़ाई लाख रुपये ले लिए और जब आरोपी ने शादी से मना कर दिया तो पीड़िता ने पुलिस से शिकायत कर इंसाफ मांगा,लेकिन उसकी सुनवाई नहीं हुई और तब जाकर उसने अदालत का दरवाजा खटखटाया।
अदालत के आदेश पर पुलिस ने केस दर्ज कर जांच शुरु की,लेकिन पीड़िता की शिकायत को पुलिस द्वारा अनसुनी करना निकम्मेपन की बानगी है।सलोन का बहुचर्चित जन्म प्रमाणपत्र प्रकरण पुलिस की संदिग्ध भूमिका की ओर इशारा करता है। मिलएरिया थाना क्षेत्र में गोलीकांड की घटना भी पुलिस की निकम्मेपन का ही परिणाम है।टप्पेबाजी की घटनाओं ने भी पुलिस की सक्रियता की पोल खोल कर रख दी है।चोरों ने समूचे जिले में आतंक मचा रखा है।
गुरुबक्शगंज, सरेनी, हरचंदपुर, ऊंचाहार,बछरावां समेत अन्य थाना क्षेत्रों में बेखौफ चोर हर रात किसी न किसी घर को अपना निशाना बना रहे हैं, जिससे आम आदमी बेखौफ चोरों को छू पाने में नाकाम पुलिस पर भरोसा करने को तैयार नहीं है।यह कहना कदापि गलत नहीं होगा कि पुलिस केवल अपराधों की लिखा पढ़ी तक ही सीमित रह गई है।सत्ता में भय मुक्त सुशासन का संकल्प लेकर आई भाजपा सरकार की साख पर रायबरेली में सबसे बड़ा बट्टा पुलिस के स्थानीय हुक्मरान ही लगा रहे हैं।
उल्लेखनीय है कि 2017 बैच के आईपीएस अभिषेक अग्रवाल ने आठ माह पहले जनवरी 2024 में बतौर पुलिस अधीक्षक जनपद रायबरेली की बागड़ोर अपने हाथों में लेते हुए कार्यभार संभाला था।लेकिन बीते 6 माह में खाकी की हनक,रौब व खाकी का सम्मान सब कुछ दांव पर लग गया।तमाम घटनाओं में शामिल अपराधी खुली हवा में सांस ले रहे हैं।वहीं दूरभाष पर जब उक्त घटनाओं के संबंध में अपर पुलिस अधीक्षक संजीव कुमार सिन्हा से जानकारी लेनी चाही तो पीसी में हूं बाद में बात करता हूं का हवाला देकर फोन डिस्कनेक्ट कर दिया।पुलिस अधीक्षक अभिषेक अग्रवाल से भी किन्हीं कारणवश संपर्क नहीं हो सका,जिससे घटनाओं में प्रचलित जांच की प्रगति नहीं जानी जा सकी।
पुलिस से उठ रहा आमजन का भरोसा
वारदात के बाद पर्दाफाश नहीं होना भी आमजन के विश्वास को खूब डगमगा रहा है। इसके बाद भी खाकी सबक लेती नजर नहीं आ रही।अपराधों का ग्राफ रफ्ता-रफ्ता बढ़ता जा रह है। अपराधियों की निरंकुशता का आलम यह है कि वह दिनदहाड़े लूट व गोलीकांड जैसी घटनाओं को अंजाम देने से भी नहीं चूक रहे।ऐसे में अपराधों के ग्राफ में गिरावट नहीं आ रही।
मुखबिर तंत्र रामभरोसे
पुलिस की अपनी करतूतों के चलते मुखबिर तंत्र भी रामभरोसे है।मुखबिरों का पुलिस से विश्वास खत्म होता जा रहा है।जिसके कारण न तो आपराधिक घटनाएं रूक रही हैं और न ही अपराधियों की गिरफ्तारी की जा रही है।पुलिस मित्रों ने भी खाकी से किनारा कर लिया है।उन्हें इस बात की चिंता सता रही है कि कहीं पुलिस उन्हें ही किसी मामले में न उलझा दे।
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