स्वास्थ विभाग में व्याप्त भ्रष्टाचार के हाथ कानून के हाथ है लंबे
तू डाल डाल मैं पात पात के तर्ज पर व्याप्त है जनपद के स्वास्थ केन्द्रों में भ्र्ष्टाचार
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कैसे लगे विभागीय भ्र्ष्टाचार पर अंकुश जब भृष्ट अधिकारियों को विभाग देता रहेगा संरक्षण की होगी बात
एक पुरानी कहावत है कि तू डाल डाल मैं पात पात की अगर समीक्षा की जाए तो इस समय स्वास्थ विभाग पर यह सटीक बैठता दिखाई देता है और इसी के सहारे जमकर भ्र्ष्टाचार का बोल बाला होने की तस्वीर सामने आ रही है । वही भ्रष्टाचार मुक्त प्रदेश के लिए जहां योगी सरकार लग़ातर सरकारी विभागों के सिस्टम में लगे दीमक से विभाग को पाक साफ करने के लिए लगातार शासन स्तर पर निर्देशो के साथ तबादला एक्सप्रेस चला कर सिस्टम में व्याप्त भ्रष्टाचार पर पूर्ण अंकुश लगाया जा सके और सरकारी संस्थान में व्याप्त भ्रष्टाचार को समाप्त किया जा सके की कवायद कर रही । लेकिन भ्रष्टाचारियों के लिए भ्र्ष्टाचार का रास्ता निकालना कितना आसान है यह धरातल पर व्याप्त भ्र्ष्टाचार की तस्वीरों से पता लगता है और उसी के सहारे विभागीय जिम्मेदार भ्रष्टाचार करके राजस्व की मलाई काटने में लगे रहते हैं ।
जहां सरकारी कर्मचारी अपने वेतन से कई गुना अधिक अवैध धन भ्रष्टाचार करते हुए अर्जित करता है और कुछ ही वर्षों में वह करोड़पति बन जाता है। जिसमें तमाम तरह की योजनाएं जो सरकार के द्वारा संचालित होती है और जिनका लाभ गरीबों असहाय और निर्बल वर्ग के लिए होता है वह सारा कुछ हजम कर वह सम्बन्धित विभागीय अधिकारी करोड़पति बन जाता है। जबकि सरकारी डाटा तो यह बताता है कि संचालित सरकारी योजना का लाभ गरीबो को सदैव मिल रहा है ।
और तमाम योजनाओ के माध्यम से गरीबों असहाय निर्बल वर्ग को इसका लाभ प्रदान किया जा रहा है। और इतने लोगों को इस योजना का लाभ दिया गया है। अगर बात की जाए स्वास्थ्य विभाग की तो स्वास्थ विभाग में व्यापक भ्रष्टाचार पर अंकुश नही लग पा रहा है औऱ उस पर लगाम लगाना मुश्किल साबित हो रहा है। जिसके कारण स्वास्थ विभाग में फैला भ्र्ष्टाचार अपने चरम पर है।
बात करते हैं जनपद बलरामपुर के स्वास्थ विभाग की जहां सरकारी दवावों से लेकर जांच व तमाम योजनाओं के नाम पर सरकारी धन का जमकर बंदर बांट किया जाने का मामला प्रकाश में आया है। जहां जनपद बलरामपुर के तुलसीपुर सीएससी केंद्र के अधीक्षक डॉक्टर सुमन्त सिंह चौहान का ऐसा कारनामा उजागर हुआ है जिसको जान कर आपके होश उड़ना स्वभाविक है जहां करोडो की संपत्ति अर्जित करने के लिए तमाम योजनाओं के माध्यमसे आया सरकारी धन कई खातों व कई मोबाइल नंबरों के सहारे जमकर भ्रष्टाचार किया गया है ।
जिसमें अगर सूत्र की माने तो 18 मोबाइल नंबर के साथ लगभग 36 अकाउंट संचालित हो रहे हैं दिन में कई पेटीएम अकाउंट और गूगल का भी प्रयोग किया जा रहा है। सूत्र बताते हैं कि सुमन्त सिंह चौहान के द्वारा उसके साथ रहने वाले चहेते लोगो जिनमे घरेलू नौकर ड्राइवर और कई आशाओं सीएससी कर्मियों के नाम अनेक बैंकों में खाते खुलवाए गए और उन खातों का प्रयोग डॉक्टर सुमन सिंह चौहान के द्वारा किया जा रहा है की जानकारी सूत्रों से बाहर आई है जिसके माध्यम से सरकारी धन का लगातार बंदरबांट होने की बात सामने आ रही है ।जो बड़ा जांच का विषय है। और अगर इसकी जांच किसी अन्य एजेंसी के द्वारा करवाई जाए तो करोड़ों के भ्रष्टाचार का खेल उजागर होगा तो वही तमाम ऐसे चेहरे भी बेनकाब होंगे जो पर्दे के पीछे हैं और राजस्व की मलाई काटने के बराबर के हिस्सेदार हैं ।
इसी क्रम में अगर बात की जाए करोड़ों की संपत्ति अर्जित करने की जिस पर भी जांच समिति बिठाया जाए की इतना धन किस माध्यम से और कहां से आया है । लेकिन स्वास्थ विभाग उसे अब भी बचाने में लगा है जिस कारण अब तक ऐसे पर न कोई कार्रवाई की गई है और न ही जांच समिति बिठाकर इनके 9 साल के कार्यकाल की समीक्षा की गई है कि आखिर 9 साल के अंदर इन्होंने कहां से और कैसे इतनी संपत्ति अर्जित की और किन-किन माध्यम से उनके पास पैसा आया ।
लेकिन विभागीय अधिकारियों के द्वारा सिर्फ उसका स्थान बदल कर लीपापोती की जा रही है और उसको तुलसीपुर सीएचसी से हटा श्रीदत्तगंज ट्रांसफर कर मामले को रफादफा करने का बड़ा खेल स्वास्थ विभाग के द्वारा किया गया जबकि उसपर पिछले मामलों में आपराधिक मुकदमें भी थाना तुलसीपुर में न्यायालय के निर्देश के बाद पंजिकृत है उसके बाद भी उसको क्लीन चिट देने का आखिर कारण क्या।
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