भय, भ्रांति और बाधाओं को दूर कर खिला रहे हैं फाइलेरिया से बचाव की दवा
समाज के विभिन्न वर्गों द्वारा सर्वजन दवा सेवन कार्यक्रम में किया जा रहा है सहयोग
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दो सितम्बर को अभियान का आखिरी दिन, उसके बाद भी खा सकेंगे दवा
गोरखपुर। मुझे फाइलेरिया बीमारी नहीं है तो मैं यह दवा क्यों खाऊं...पिछले साल दवा खाने के बाद उल्टी आई थी, इसलिए मैं दवा नहीं खाऊंगा....मुझे शुगर की बीमारी है, मैं दवा नहीं खा सकता.....मेरे घर में निधन हुआ है, मैं या मेरे परिवार के लोग दवा नहीं खाएंगे...जैसी तमाम भय, भ्रांति और बाधाओं को दूर कर इस बार सर्वजन दवा सेवन (एमडीए) अभियान में दवा खिलाई जा रही है। समाज के विभिन्न वर्गों के लोग दवा सेवन अभियान में हिस्सा लेकर समुदाय को प्रेरित कर रहे हैं। यह अभियान दो सितम्बर तक चलेगा लेकिन उसके बाद भी बचे हुए लोग स्वास्थ्य केंद्रों से दवा खा सकेंगे। अभियान के बाद भी मॉप अप राउंड चला कर छूटे हुए लोगों को दवा खिलाई जाएगी।
बड़हलगंज नगर पालिका परिषद के वार्ड नंबर पांच के ग्राम जयिपार में पिछले वर्ष अभियान के दौरान दवा खाने के बाद उल्टी होने पर इस साल वहां करीब सौ लोग दवा खाने से इनकार कर चुके थे। स्वयंसेवी संस्था पीसीआई के प्रयासों से वहां के सभासद राजीव ने खुद दवा का सेवन किया। इसके बाद 22 अगस्त को अपने क्षेत्र के लोगों के पास गए और बताया कि जिन लोगों के शरीर में माइक्रोफाइलेरिया होते हैं उन्हें दवा खाने के बाद उल्टी, मतली, चक्कर आना, सिरदर्द, बुखार व खुजली जैसे लक्षण आ सकते हैं। यह अच्छे संकेत हैं और इनसे घबराना नहीं है। सभासद के प्रयासों के करीब पचास से अधिक लोग एक ही दिन में दवा खा सके। बाकी लोगों को भी दवा खिलाई जा रही है।
पिपराईच ब्लॉक के महराजी गांव में एक परिवार के घर बुजुर्ग का निधन हो गया । जब स्वास्थ्य विभाग की टीम उनके यहां दवा खिलाने पहुंची तो परिवार ने मना कर दिया। इसके बाद मलेरिया इंस्पेक्टर पूजा और महराजी फाइलेरिया समूह के सदस्य उनके घर गये और समझाया कि यह दवा खाना खाने के बाद कभी भी खा सकते हैं। इसका उनकी परम्परा पर कोई असर नहीं पड़ेगा। इस तरह परिवार के उन्नीस लोगों में से 18 लोगों ने दवा का सेवन कर लिया। महराजी एक ऐसा गांव है जहां पिछले वर्ष शत फीसदी आबादी को दवा खिलाई जा सकी थी।
शाम को भी खिलाई गई दवा
चरगांवा ब्लॉक के स्वास्थ्य शिक्षा अधिकारी मनोज कुमार बताते हैं कि उनके ब्लॉक के कई गांवों में शाम को भी आशा कार्यकर्ताओं ने लोगों को फाइलेरिया से बचाव की दवा खिलाई है। इस कार्य में फाइलेरिया रोगी नेटवर्क ने मदद की है। दिन में जिन घरों में लोग मौजूद नहीं रहते हैं वहां टीम शाम को जाकर दवा खिलाती है।
मदद कर रही हैं संस्थाएं
जिला मलेरिया अधिकारी अंगद सिंह का कहना है कि स्वयंसेवी संस्था पीसीआई सोशल मोबिलाइजेशन में सहयोग कर रही है। विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा मॉनीटिरंग के जरिये मदद की जा रही है। वहीं, पाथ संस्था के प्रतिनिधि डेली की ऑनलाइन रिपोर्टिंग में मदद कर रहे हैं। अभियान के दौरान दवा सेवन कार्यक्रम में प्रेस क्लब गोरखपुर, सूचना विभाग व कई मीडिया संस्थानों ने सक्रिय प्रतिभागिता की है और सभी की मदद से अभियान को सफल बनाया जा रहा है।
सुरक्षित और असरदार है दवा
मैं खुद लगातार कई वर्षों से इस दवा का सेवन कर रहा हूं। इसे दो वर्ष से अधिक उम्र के सभी लोगों को खाना है। सिर्फ गर्भवती और अति गंभीर बिस्तर पकड़ चुके बीमार लोग यह दवा नहीं खाएंगे। शुगर, बीपी, कोलेस्ट्राल, बुखार, टीबी आदि के रोगी यह दवा खा सकते हैं। गृह भ्रमण के समय जो लोग घर पर मौजूद नहीं है वह घर वापस आने के बाद आशा कार्यकर्ता से सम्पर्क कर इस दवा का सेवन अवश्य करें। यह दवा फाइलेरिया से बचाती है। एक बार यह बीमारी हो गई तो ठीक नहीं होती है। डॉ आशुतोष कुमार दूबे, मुख्य चिकित्सा अधिकारी।
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