घोषणा पत्र में काश्मीर में धारा 370 की बहाली का मुद्दा क्यों ? 

घोषणा पत्र में काश्मीर में धारा 370 की बहाली का मुद्दा क्यों ? 

जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव की घोषणा हो चुकी है। सभी दलों ने अपने घोषणा पत्र जारी कर दिए हैं। लेकिन नेशनल कांफ्रेंस और पीडीपी के चुनावी घोषणा पत्र में जिस तरह से धारा 370 की बहाली की मांग को मुद्दा बनाया गया है यह बहुत ही आश्चर्यजनक है। देश हित में अब इस मुद्दे पर विराम लगना चाहिए। नेशनल कांफ्रेंस का घोषणा पत्र पार्टी के आगामी चुनावों के लिए उनकी नीतियों, योजनाओं और प्राथमिकताओं को स्पष्ट करता है। यह घोषणा पत्र पार्टी के वादों और उद्देश्यों का दस्तावेज होता है, जिसमें पार्टी द्वारा सत्ता में आने के बाद लागू किए जाने वाले कार्यक्रमों और नीतियों का विवरण दिया जाता है। 
 
हालांकि, हर चुनाव के लिए नेशनल कांफ्रेंस का घोषणा पत्र भिन्न होता है, लेकिन आमतौर पर इसमें कश्मीर की स्वायत्तता, अनुच्छेद 370 की बहाली, क्षेत्रीय विकास, शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार के अवसरों जैसे मुद्दों पर जोर दिया जाता है।पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) का घोषणा पत्र भी पार्टी के आगामी चुनावों के लिए उनकी नीतियों, योजनाओं और प्राथमिकताओं को स्पष्ट करता है। यह दस्तावेज़ पार्टी के उन वादों और उद्देश्यों का विस्तृत विवरण देता है, जिन्हें पार्टी सत्ता में आने के बाद लागू करने का इरादा रखती है।
 
कश्मीर मुद्दा और शांति पीडीपी और नेशनल कांफ्रेंस के लिए एक ही है। साथ ही पीडीपी ने कश्मीर मुद्दे के शांतिपूर्ण समाधान और भारत तथा पाकिस्तान के बीच बातचीत की प्रक्रिया को बढ़ावा देने पर जोर देती है। लेकिन जब पाकिस्तान अपनी हरकतों से बाज नहीं आ जाता तब तक यह कैसे संभव हो सकता है। शांतिपूर्ण समाधान के लिए पिछले कई दशकों से बातचीत हो रही है लेकिन पाकिस्तान की करतूतों ने लगभग सारे रास्ते बंद कर दिए हैं। फिर जम्मू-कश्मीर की ये दो पार्टियां इस तरह के मुद्दों को अपने घोषणा पत्र में कैसे शामिल करतीं हैं।पीडीपी के घोषणा पत्र में कहा गया है कि अनुच्छेद 370 और 35A  पार्टी अनुच्छेद 370 और 35A की बहाली और जम्मू-कश्मीर की स्वायत्तता को बनाए रखने के लिए काम करने का वादा करती है।
 
नेशनल कांफ्रेंस और पीडीपी की जम्मू-कश्मीर में स्वायत्तता से क्या मतलब है। जम्मू-कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है। और जिस तरह केन्द्र सरकार अन्य सभी राज्यों के विकास के लिए सोचती है वही सोच जम्मू-कश्मीर के विकास के लिए रहती है। जम्मू-कश्मीर में धारा 370 की बहाली और राज्य की स्वायत्तता को सीधे देश द्रोह की श्रेणी में कर देना चाहिये। क्यों कि यह पार्टियां ही हैं जो जम्मू-कश्मीर का भला नहीं चाहती, विकास नहीं चाहतीं, इनको तो बस वह मुद्दा चाहिए जिससे इनकी राजनीति चमक सके। विकास और बुनियादी ढांचा आर्थिक विकास, बुनियादी ढांचे के विकास, शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूत करने के लिए योजनाएं प्रस्तुत की जाती हैं।
 
जम्मू-कश्मीर में बात होनी चाहिए रोजगार के अवसर युवाओं के लिए रोजगार के नए अवसर पैदा करने और बेरोजगारी की समस्या को दूर करने के उपायों पर ध्यान दिया जाना चाहिए ताकि वह देश के विकास के भागीदार बन सकें। गुड गवर्नेंस की बात होनी चाहिए। पीडीपी के घोषणा पत्र में भ्रष्टाचार से मुक्त शासन और प्रशासनिक सुधारों के माध्यम से पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए कदम उठाने की प्रतिबद्धता भी जताई जाती है। मानवाधिकार और न्याय के लिए मानवाधिकारों की सुरक्षा और न्यायपालिका में सुधारों को बढ़ावा देने पर जोर दिया जाता है।
 
पीडीपी का हर चुनाव के लिए घोषणा पत्र अलग-अलग हो सकता है, लेकिन ये कुछ प्रमुख मुद्दे होते हैं जिन पर पार्टी अपने वादे करती है।  370 को भारत सरकार ने 5 अगस्त 2019 को हटा दिया था। इस धारा के हटने से जम्मू और कश्मीर राज्य को विशेष दर्जा देने वाले प्रावधानों को समाप्त कर दिया गया, और जम्मू और कश्मीर को दो केंद्र शासित प्रदेशों - जम्मू और कश्मीर तथा लद्दाख में विभाजित कर दिया गया। जम्मू-कश्मीर में राष्ट्रपति शासन 19 दिसंबर 2018 को लागू हुआ था। इससे पहले, 20 जून 2018 को राज्यपाल शासन लगाया गया था, जब भारतीय जनता पार्टी ने पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी  के साथ अपने गठबंधन से समर्थन वापस ले लिया, जिससे मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती की सरकार गिर गई। 
 
राज्यपाल शासन के छह महीने पूरे होने के बाद, 19 दिसंबर 2018 को राष्ट्रपति शासन लागू किया गया, जो अनुच्छेद 356 के तहत लगाया गया था। राष्ट्रपति शासन तब तक जारी रहा जब तक जम्मू-कश्मीर को केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित नहीं किया गया और राज्य का विशेष दर्जा खत्म नहीं किया गया। जम्मू-कश्मीर की राज्य स्तरीय पार्टियां जिस तरह की राजनीति करतीं आईं हैं वह किसी से छिपी नहीं है। एक समय था कि जम्मू-कश्मीर की अवाम के हाथों में सिर्फ पत्थर होते थे। जो कि हमारे देश के जांबाज जवानों के ऊपर फैंके जाते थे। लेकिन भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने जिस तरह से जम्मू-कश्मीर में क़दम उठाए हैं उसने इन पत्थरबाजों और पाकिस्तान के मंसूबों पर पानी फेर दिया है।
 
जम्मू-कश्मीर में धारा 370 का प्रावधान और उसकी स्वयत्तता का निर्णय देश में बंटवारे के समय में तत्कालीन कांग्रेस सरकार के समय में लिया गया था। उसके बाद किसी भी प्रधानमंत्री की हिम्मत नहीं हुई कि इसको समाप्त किया जाए। लेकिन आज जब भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने इसको समाप्त कर दिया है तो इस पर अब चर्चा नहीं होना चाहिए। जो चीजें देश के हित में हैं देश की अखंडता के लिए हैं उसका विरोध करने वाले देश द्रोह की श्रेणी में होने चाहिए। देश के लिए कोई भी राज्य विशेष नहीं होता न ही वहां के कानून अलग हो सकते। जम्मू-कश्मीर देश का अभिन्न अंग है और हमेशा रहेगा।
 
जितेन्द्र सिंह पत्रकार 

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