संजीव-नीl

संजीव-नीl

कविता,

भोले चेहरे कितने मगरूर हो गए हैं।
 
रिश्ते अब अपने रिश्तों से दूर गए है,
लोग आज कितने निष्ठुर हो गए हैं l
 
दुश्मनो से दोस्त कर रहें गुजारिश,
भोले चेहरे कितने मगरूर हो गए हैं।
 
ज़माने की कैसी हो गई फितरत,
भाई चारे कितने बेनूर हो गए हैं।
 
आजमा कर देख बेदर्द ज़माने को,
सच के रिश्ते अब काफूर हो गए हैं ।
 
नाते,रिश्ते का अजब मायाजाल है,
सिक्कों की खनक दस्तूर हो गए हैं।
 
तमन्नाये सुनहरे पंखों की बेमानी,
सारे सपने अब चूर चूर हो गए हैं।
 
फकीरी,शायरी हमारी अब हमसफर,
खुदा के करम अब पुरनूर होगए हैं।
 
संजीव ठाकुर

About The Author

Post Comment

Comment List

अंतर्राष्ट्रीय

रूस पर आग उगलने वाले ड्रोन से यूक्रेन ने किया हमला: रूस के जंगलों में लावा से लगी आग रूस पर आग उगलने वाले ड्रोन से यूक्रेन ने किया हमला: रूस के जंगलों में लावा से लगी आग
International News यूक्रेन ने रूसी हमले का जवाब देने के लिए खतरनाक ‘ड्रैगन ड्रोन’ का इस्तेमाल शुरू कर दिया है।...

Online Channel

साहित्य ज्योतिष

संजीव-नीl
कविता
कुवलय
संजीव-नी|
संजीव-नी।