हक दिलाने में माहिर एडवोकेट गिरीश कि उनके काम से पहचान, शीर्ष पर शुमार
18 साल के सफर में अभी तक हजारों मुकदमों में लहराया विजय का परचम, जनपद के सर्वश्रेष्ठ अधिवक्ताओं में से एक गिरीश श्रीवास्तव की पहचान
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सड़क हादसे में जख्मी या मौत की स्थिति में बुलंद करते हैं न्यायालय में पीड़ित परिवार कि आवाज आज टॉप वन श्रेणी में सूमार !-
रायबरेली। अदालत में इंसाफ दिलाने के लिए अपनी पढ़ाई अपने दिमाग की सारी ताकत झोंक देते हैं वकील पर काला कोट पहनकर वकील कहलाना इतना आसान भी नहीं है वकालत एक ऐसा पेशा है कि जिसके कंधों पर जिम्मेदारी होती है कि किसी भी पीड़ित को न्याय के लिए भटकना न पड़े आज प्रतिस्पर्धा और पैसे कमाने की होड़ के माहौल में किसी गरीब इंसान को न्याय पाने के लिए काफी धक्के खाने पड़ते हैं। लेकिन शहर में कोई है जो ऐसे मजबूर व गरीब लोगों को इंसाफ दिलाने की लड़ाई लड़ रहा है। ओ चेहरा है एडवोकेट गिरीश श्रीवास्तव का जनपद रायबरेली के शिवाजी नगर के मूल निवासी गिरिश श्रीवास्तव का चेहरा आज किसी परिचय का मोहताज नहीं। अगर उनकी कार्यशैली पर प्रकाश डाला जाए तो पृष्ठभूमि चंद्र लाइनो के माध्यम से समझी जा सकती है।
"जांच परख के सच पहचाने अनुचित बात कभी ना माने सामने उसके टिकना पाए अच्छे-अच्छे बड़े सयाने साहस हिम्मत मर्यादा को कभी नहीं जो खोता है शोषण जन की लडे लड़ाई वह अधिवक्ता होता है,, ठीक इसी तरह गिरीश श्रीवास्तव का किरदार भी शोषण जन के लिए लड़ता है। दरशल सड़क दुर्घटना दावो के नाम चिन अधिवक्ताओं में से एक एडवोकेट गिरीश श्रीवास्तव ने आज से लगभग 18 साल पहले यह निश्चय किया कि वह उन पीड़ितो की आवाज बनेंगे जो भावनात्मक रूप से कमजोर के साथ साथ आर्थिक तंगी का भी शिकार हो जाते हैं।
भारत में हर साल लगभग डेढ़ लाख लोगों की सड़क हादसे में मौत होती है। हादसे में होने वाली मौत से पीड़ित परिवार बिखर जाता है अगर कमाऊ सदस्य की सड़क हादसे में मौत हो जाए तो पीड़ित परिवार भावनात्मक रूप से तो टूटता ही है आर्थिक रूप से भी टूट जाता है। इन्हीं पीड़ित परिवारों को मुआवजा दिलाने के लिए एडवोकेट गिरीश श्रीवास्तव न्यायालय की चौखट पर पीड़ितों की पैरवी करके वकालत के अब तक के सफर में हजारों मुकदमों में अपनी तीखी दलीलो की पेशकश से जीत का परचम लहराने में जनपद में अव्वल दर्जे में शुमार है। और सर्वश्रेष्ठ जीत का नतीजा ही है की सड़क दुर्घटना में चोटिल या जान गंवाने वालों के परिजन श्रीवास्तव की वकालत पर ज्यादा भरोसा जुटा पाते हैं।
कई मामलों में पीड़ित परिवार की मदद उनके द्वारा स्वयं भी की जाती है जो बेहतरीन अधिवक्ता के साथ इंसानियत भी उजागर होती है। परंतु आज के परिवेश में अत्यधिक देखने को मिलता है कि कई तथाकथित अधिवक्ता काले कोट पैंट धारण करके पीड़ित परिवारों को अपने चंगुल में फंसा कर धन उगाही का जरिया अलापते हैं। और अंत में नतीजन पीड़ित परिवार अपनी हक की लड़ाई के अंत तक ना पहुंच कर मुआवजा राशि से भी वंचित रह जाते जिससे वह आर्थिक तंगी का शिकार ता उम्र उठाते हैं। और इसका मुख्य कारण तथाकथित अधिवक्ता है जो बाद में अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ लेते हैं।
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