जरवा क्षेत्र में छात्रा छात्राओं के भविष्य के साथ खिलवाड़ कर रहे शिक्षा माफिया
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जरवा बलरामपुर नेपाल सीमावर्ती क्षेत्र के शिक्षा खंड गैंसडी के बालापुर बाजार में कुछ शिक्षा माफियाओं द्वारा कक्षा 9 से 12 की कक्षाएं बिना किसी मान्यता व सुविधाओं व मानकविहीन संचालित की जा रही है। सूत्रों की माने तो यह मनचले माफिया कई वर्षों से बालापुर क्षेत्र में अपनी निजी फायदे के लिए कक्षा 9 से 12 के सैकड़ों छात्र छात्राओं के भविष्य को चौपट करने का कार्य करते आ रहे हैं । सुत्रों से ज्ञात हुआ कि यह मनचले माफिया युवक आसपास के करीब 50 गांव के कक्षा 8 उत्तीर्ण अबोध विद्यार्थियों को अपने शिकंजे में बरगलाकर पढ़ाने का वादा करते हैं एवं इन अबोधों का पुरी काल्पनिक स्कूली प्रक्रिया द्वारा प्रवेश कर इनका 50 - 100 किलोमीटर दूर किसी विद्यालय में नाम दर्ज करा कक्षा 9 से 12 तक की कक्षाएं संचालित करते हैं।
कई अभिभावकों से मिलने पर ज्ञात हुआ कि उनका पाल्य इंटर में तीन बार व कईयों का कक्षा 10 में दो बार लगातार फेल हो चुके हैं वे विद्यार्थी अवसाद से गुजर रहे है और यह मनचले युवक माफिया के माथे पर सिकन तक नही आती है , भारी मात्रा में बच्चों का भविष्य खराब कर देने की इनकी प्रक्रिया इस नेपाल सीमावर्ती क्षेत्र और थारू जनजाति बाहुल्य क्षेत्र के लिए अत्यंत हानिकारक प्रभाव डाल रही है।
इतना ही नहीं यह पूरे वर्ष 6 विषयों में से कुछ विषय ही पढ़ाकर यहां की आबादी के बीच अपनी रोटी सेक रहे हैं । यह मनचले युवक कभी सुबह 8:00 बजे से किसी किराए के कमरे पर बुलाकर बच्चों को पढ़ाते हैं और विभागीय जांच होने पर यह सभी उन बच्चों को दोपहर 1:00 बजे से बुलाकर शाम 5 बजे तक पढ़ाते हैं , कभी दोपहर 12:00 बजे से बुलाते हैं, कभी बच्चे विद्यालय पहुंचते हैं और यह मनचले युवक उनकी छुट्टी कर देते हैं।

सूत्रों की माने तो यह अपने आपको शिक्षा माफिया की संज्ञा देते हुए इस काम को अंजाम देते हैं और क्षेत्रीय अधिकारियों का भी सह इन्हें प्राप्त है ।
क्षेत्र के शिक्षा अधिकारियों से बात करने पर ज्ञात हुआ कि इस तरह के जो भी असंवैधानिक संचालन किए जा रहे हैं उन सब पर दंडनीय कार्रवाई करते हुए तत्काल प्रभाव से रोक लगाई जाएगी पर देखने को मिलता है कि कई बार जांच होने पर भी इन सभी को क्लीन चिट प्रदान कर दी जाती है और यह मनचले शिक्षा माफिया युवा अपना उल्लू सीधा करते हुए भोले बच्चे बच्चियों का जीवन से शिक्षा की उमंग को मीठे जहर की भांति खत्म करने का काम कर रहे हैं ।
अब देखना यह है कब तक हमारे भारत नेपाल के सीमावर्ती क्षेत्र में इस तरह के अवैध संचालन का चलन बना रहेगा और हमारे भारत का यह क्षेत्र पिछड़ेपन से कब दूर हो पाएगा ? शिक्षा का एक बहुत बड़ा महत्व होता है किसी समाज को पिछड़ेपन से दूर करने का । और इस प्रकार का प्रचलन गड्ढों में धकेल रहा है विद्यार्थियों का भविष्य ।
कई अभिभावकों का कहना है कि स्कूल के नाम पर प्रवेश विद्यालय में लिया था और अब टी सी, मार्कशीट , फोटोस , पैसे लेने के बाद इन लोगों ने समय परिवर्तित कर दोपहर 1:00 बजे से कर दिया है, कई का कहना है कि कभी यह 11:00 कभी 12:00 बजे कभी 1:00 बजे से स्कूल लग रहा है , और यह शिक्षा पद्धति समझ से परे हैं, कभी इनसे बात करने जाओ तो यह सरकारी नियम का हवाला देकर बात को टाल देते हैं और बच्चे के भविष्य खराब करने की धमकी देते हैं ।
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