सीजीएचएस डिस्पेंसरी में अर्से से पानी तक नहीं
स्वतंत्र प्रभात। एसडी सेठी। दिल्ली में डूबने के लिए तो है पानी, मगर पीने के लिए मरीजों को पानी तक मयैस्सर नहीं है। मामला केंदीय सरकार की सीजीएचएस डिस्पेंसरी का है। दिल्ली के शालीमार बाग स्थित सेंट्रल गवरमैंट हेल्थ सर्विस (सीजीएचएस) की डिस्पेंसरी में पिछले कई हफ्ते से दिल्ली जल बोर्ड की लापरवाही से पानी की एक बूंद तक नहीं है। इस बारे में नागरिक अधिकार आंदोलन के अध्यक्ष राजव्रत आर्य ने बताया कि दिल्ली की आम आदमी पार्टी की सरकार करोडों रूपये खर्च कर विज्ञापन तो देती है कि "जल ही जीवन है।" लेकिन इसके विरूद्ध जल को जीवन से जुदा कर मरीजों तक को तरसाने में लगी है।
अध्यक्ष राजव्रत आर्य ने बताया कि पानी न होने से यहां इलाज कराने आने वालें हजारों मरीज सडी गर्मी में पीने के पानी को तरस रहे हैं।यहां के स्टाफ ने बताया कि दिल्ली जलबोर्ड की लापरवाही और निकम्मेपन से हम पिछले कई हफ्ते से पानी की सप्लाई न होने से काफी परेशान है। सीजीएचएस कार्ड धारक नारायण कुमार ने बताया कि मैं निजी तौर पर कई पत्र दिल्ली जल बोर्ड के असिस्टेंट इंजीनियर को लिख चुका हूं, लेकिन उनकी ओर से पानी के नाम पर अब तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है।इसके अलावा डिस्पेंसरी के चीफ मेडिकल आफिसर ने भी कई बार दिल्ली डल बोर्ड को पत्र लिखकर पानी न आने की शिकायते दी जा चुकी है। लेकिन जलबोर्ड के कानो में जूं तक नहीं रेंगी है।
वहीं स्टाफ का कहना है कि शौचालय बिना पानी के संडांध से बकबका रहे है । डिस्पेंसरी में काम करना तक दुश्वार हो रहा है। वहीं नागरिक अधिकार आंदोलन ने जिम्मेवारी लेते हुए कहा कि सीजीएचएस के कार्ड धारक मरीजों को प्यासे मारना कहां तक उचित है? उन्होने कहा कि बिना ठोस कारण बताए पानी की सप्लाई को बेवजह रोकना , डिस्पेंसरी से जुडे हजारों पेंशन धारको के जीवन से खुल्लम-खुल्ला खिलवाड है। अध्यक्ष राजव्रत आर्य ने दिल्ली जल बोर्ड की कार्य शैली से नाराज होकर चेतावनी तक दे डाली कि दिल्ली जलबोर्ड शालीमार बाग स्थित सीजीएचएस डिस्पेंसरी में आने वाले मरीजों के साथ किसी भी प्रकार की अनहोनी के लिए दिल्ली जलबोर्ड जिम्मेदार होगा। लिहाजा डिडिस्पेंसरी में पानी की सप्लाई को तुरंत किया जाए।
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