वन कर्मियों की मिलीभगत से बड़े पैमाने पर हो रही है अवैध कटान

 बनकटवा रेंज में अवैध कटान रुकने का नहीं ले रहा है नाम

वन कर्मियों की मिलीभगत से बड़े पैमाने पर हो रही है अवैध कटान

अवैध कटान पर वन विभाग के अधिकारियों ने चुप्पी बन रही बड़ा सवाल

सुहेलवा वन्य जीव प्रभाग की बात की जाय तो यहां के रेंजरी अवैध कटान करने वाले वन माफियाओ के चराहगाह साबित हो रहे जिसमे वन रेंज अधिकारियों व पुलिस की संलिप्ता के कारण अंकुश नही लग रहा । वन विभाग के अधिकारियों व कर्मचारियों की मिली भगत से कई जगह अलग अलग स्थानों पर अवैध तरीके से सागवन का पेड़ को काटा जा रहा है।यही नहीं वन माफियाओ व वन विभाग के अधिकारियों की मिली भगत से वन विभाग के हरे पेड़ो को भी काटने में नहीं चूक रहे है।वही बडी बात यह कि जब इसकी सूचना उच्च अधिकारियों को दी जाती है लेकिन जांच व कार्यवाही की बात तो की जाती है लेकिन।असलियत में कार्यवाही तो एक बहाना है बाकी विभाग के लोगो को बचाना ही असल मकसद होता है ।
 
 बनकटवा रेंज की बात की जाय तो यहा हाल यह है कि स्वयं वन विभाग के अधिकारी ही विभाग के कर्मचारी व वन माफियाओ को बचाने में लग जाते हैं।  ताजा मामला थाना हरैया सतघरवा व रेंज बनकटवा के अंतर्गत ग्राम पंचायत बाकी महादेव के निवासी अध्या प्रसाद प्रधान के बगीचे के बगल का है जहां पर दर्जनों की संख्या में हरे पेडो का अवैध कटान हुआ है अगर पिछले कुछ महीनो में देखा जाए तों सुहेलवा वन्य जीव प्रभाग के बनकटवा रेंज में लगातार व्यापक रूप मे अवैध कटान जोरो पर हैं जंहा विभागीय मिलीभगत से हरे पेड़ो पर लगातार आरा चलाया जा रहा है । और अगर विभागीय कार्रवाई की बात की जाए तो पत्रकारों के द्वारा मामला संज्ञान में आने के बाद बड़ी मुश्किल से वन विभाग करवाई करने की बात करता है।
 
 वही आपको बताते चलें की दूसरी तरफ एस एस बी के द्वारा भी लगातार बड़े पैमाने पर अवैध काटन की लड़कियों पर कार्रवाई की गई है कहीं-कहीं पर तो पुलिस ने भी कार्रवाई की है लेकिन अगर बात किया जाए कार्रवाई में वन विभाग के भूमिका की तो कहीं न कहीं वन विभाग की भूमिका सन्दिग्ध नजर आ रही है। अवैध कटान के मामलों में वन विभाग के द्वारा अकेले की गई कार्रवाई की मिसाल न के।बराबर है जब भी कार्रवाई हुई तो पुलिस और एस एस बी की संयुक्त टीम की उपस्थित रही है। 
 
अपराधी अधिकारियों संग वन माफियाओ को बचा रहे वन विभाग के जिम्मेदार अगर वन विभाग के उच्च अधिकारियों की बात की जाए तों वन कर्मचारी के साथ रेंजअफसर उप प्रभागीय वन अधिकारी तथा प्रभागीय वन अधिकारी वन माफियाओ को बचाने की लग जाते हैं और अगर मजबूरीवश कार्यवाही भी तो मामूली धाराओं में चालान य जुर्माना लगा कोरम पूरा कर दिया जाता है । जिससे यह साबित होता है कि वन विभाग में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार फैला है जिसके कारण वन अपराधियों को वन विभाग का संरक्षण मिला हुआ फिर डर अखिर किससे जब सैया हो कोतवाल ।
 
वनाधिकारियों द्वारा किया जाता मीडिया को गुमराह वन अपराधियों को बचाने के लिए वन विभाग के रेंज अफसर से लेकर उच्च अधिकारी तक वन अपराधियों पर कार्रवाई न करना पड़े इसलिए मीडिया कर्मियों को भी गुमराह करते हुए गलत सूचना देते है कि बात अक्सर में सामने आरही है। संयुक्त सचिव से लेकर वन मंत्री तक का नही उठता फोन करते हीलाहवाली  जब इस संबंध में संयुक्त सचिव से बात की गई तो उन्होंने बताया कि वन मंत्री से बात कीजिए ।
 
 वन मंत्री को जब फोन किया गया फोन की घंटी जाने के बावजूद भी उनका फोन नही रिसीव हुआ ।वही अगर बात की जाय पर्यावरण संरक्षण की तो प्रदेश सरकार के निर्देशों के क्रम में दावा तो यही होता है कि जीवन के लिये हर विभाग पौधारोपण कर पौधों को उगाए और उनको जीवन दे कर मानवता को जीवन दे लेकिन जब जीवन बचाने वाले वन कर्मी व अधिकारियों के शह पर वन क्षेत्र का अवैध कटान अपने चरम पर हो तो फिर कैसे सरकार के दावे होंगे धरातल पर साकार जब रक्षक ही भक्षक बन चुके हों। जब मुख्यमंत्री के आदेशों की धज्जियां उड़ा रहे हैं उन्हीं के मंत्री तो अधिकारी भी क्या करेंगे पालन।

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