संजीव नी।
On
कविता
तू खुदा नहीं पर कमतर भी नहीं ।
तेरे सामने मेंरा वजूद बेहतर
भी नहीं ,
तू खुदा नहीं पर कमतर भी नहीं ।
यारों ने आईना दिखाया मुझे बार बार
जानता हूँ वो फकत आईना तेरा भी नहीं।
हालात मेरे जैसे है बदलेंगे कभी न कभी,
तेरी सोहबत ने बताया तू बेवफा भी नहीं।
दिखा दो कठोर ज़माने को इक बार,
मेरी हो मेरी,कही मुझसे जुदा भी नहीं।
जाहिर है तुम्हारे भी नाजो नखरे है,
खामोश हो समझूँ मुझसे खफा भी नहीं।
लिख गया कोई सूफी इश्किया किस्से,
शर्तिया किस्सा सिर्फ तेरा और मेरा भी नहीं।
संजीव ठाकुर
About The Author
Related Posts
Post Comment
आपका शहर
हाईकोर्ट ने फर्जी हस्ताक्षर करने वाले आरोपी को अग्रिम जमानत देने से किया इंकार।
10 Sep 2024 17:08:06
खनन माफिया महेंद्र गोयनका ने रची थी गोलमाल की कहानी।
अंतर्राष्ट्रीय
रूस पर आग उगलने वाले ड्रोन से यूक्रेन ने किया हमला: रूस के जंगलों में लावा से लगी आग
09 Sep 2024 17:08:37
International News यूक्रेन ने रूसी हमले का जवाब देने के लिए खतरनाक ‘ड्रैगन ड्रोन’ का इस्तेमाल शुरू कर दिया है।...
Comment List