नितिन गडकरी ने वित्त मंत्री को पत्र लिख कर  कहा- लाइफ और हेल्‍थ इंश्‍योरेंस से जीएसटी हटा लें।

नितिन गडकरी ने वित्त मंत्री को पत्र लिख कर  कहा- लाइफ और हेल्‍थ इंश्‍योरेंस से जीएसटी हटा लें।

केंद्रीय मंत्री और वरिष्ठ भाजपा नेता नितिन गडकरी ने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को पत्र लिखकर जीवन और चिकित्सा बीमा योजनाओं के प्रीमियम पर लगाए गए जीएसटी को वापस लेने का अनुरोध किया है। गडकरी के इस बयान से भाजपा हैरान है।  गडकरी का यह पत्र ऐसे समय सामने आया है जब केंद्रीय बजट 2024 की चौतरफा तीखी आलोचना हो रही है। आम लोगों से लेकर उद्योग जगत तक ने इस बजट को लेकर कोई उत्साह नहीं दिखाया। ऐसे में गडकरी की मांग एक तरह की आलोचना ही मानी जाएगी।
 
नितिन गडकरी ने 28 जुलाई को फाइनेंस मिनिस्टर निर्मला सीतारमण को लिखे अपने लेटर में कहा, ”आपसे अनुरोध है कि आप लाइफ और हेल्थ इंश्योरेंस प्रीमियम पर जीएसटी हटाने के सुझाव पर प्राथमिकता से विचार करें. क्योंकि यह वरिष्ठ नागरिकों के लिए बोझिल हो जाता है। फिलहाल, जीवन और चिकित्सा बीमा प्रीमियम, दोनों पर 18 प्रतिशत जीएसटी लगता है। केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने कहा, जीवन बीमा और हेल्थ इंश्योरेंस, आज हर व्यक्ति की जरूरत है और सामाजिक रूप से जरूरी हैं. ऐसे में इन उत्पादों के प्रीमियम पर 18 फीसदी टैक्स, इस सेक्टर की ग्रोथ को भी प्रभावित करता है। जीवन बीमा प्रीमियम पर जीएसटी लगाना जिन्दगी की अनिश्चितताओं पर टैक्स लगाने की तरह है।
 
गडकरी ने अपने पत्र में कहा है कि वह नागपुर डिविजनल जीवन बीमा निगम कर्मचारी संघ के एक ज्ञापन के बाद वित्त मंत्री को पत्र लिख रहे हैं।इस एम्पलाई यूनियन ने इंश्योरेंस इंडस्ट्री के सामने आने वाली समस्याओं के बारे में बताते हुए नितिन गडकरी को एक ज्ञापन सौंपा था। गडकरी ने लिखा है "कर्मचारी संघ का मानना है कि जो व्यक्ति परिवार को कुछ सुरक्षा देने के लिए जीवन की अनिश्चितताओं के जोखिम को कवर करता है, उस पर इस जोखिम के खिलाफ कवर खरीदने के लिए प्रीमियम पर टैक्स नहीं लगाया जाना चाहिए। इसी तरह, चिकित्सा बीमा (मेडीक्लेम पॉलिसी) प्रीमियम पर 18% जीएसटी इस क्षेत्र की वृद्धि में बाधा बन रहा है। सामाजिक रूप से यह जरूरी है  कि इन पर से जीएसटी को वापस लिया जाए।
 
बीमा कर्मचारी संघ ने यह महत्वपूर्ण मुद्दा उठाया है। आम लोग भी काफी दिनों से मेडीक्लेम पॉलिसी औऱ जीवन बीमा पॉलिसी पर जीएसटी लगाने की वजह सरकार से बार-बार पूछ रहे थे। लोगों का कहना था कि अगर सरकार लोक कल्याण की बात कहती है तो इन दो बीमा प्रीमियम पर जीएसटी क्यों। मेडीक्लेम पॉलिसी की वजह से निजी अस्पतालों ने इलाज वैसे ही महंगा कर रखा है। उस पर जीएसटी वसूलने से लोगों की हालत खराब है।  जनता को यह जीएसटी दो बार देना पड़ती है, एक बार मेडीक्लेम पॉलिसी का प्रीमियम चुकाते हुए और इलाज का बिल भरते समय।
 
गडकरी का यह भी कहना है कि उनसे मिलने वाले कर्मचारी संघ ने जीवन बीमा के माध्यम से बचत के लिए अलग-अलग इलाज, स्वास्थ्य बीमा प्रीमियम के लिए इनकम टैक्स कटौती, सार्वजनिक और क्षेत्रीय सामान्य बीमा कंपनियों के एकीकरण से संबंधित मुद्दे भी उठाए।गडकरी ने पत्र के अंत में लिखा है- "उपरोक्त के मद्देनजर, आपसे अनुरोध है कि जीवन और चिकित्सा बीमा प्रीमियम पर जीएसटी को हटाने के सुझाव पर प्राथमिकता के आधार पर विचार करें क्योंकि यह वरिष्ठ नागरिकों के लिए भी बोझ है।

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