सीएचसी अधीक्षक तुलसीपुर को पद से हटाने को लेकर राज्य महिला आयोग में किया आशाओ ने शिकायत
राजनीतिक पकड़ और अपने पद का बेजा लाभ लेकर निष्पक्ष जांच में बन रहे बाधा बना रहे हैं नाजायज दबाव
विशेष संवाददाता मसूद अनवर की रिपोर्ट
तुलसीपुर/बलरामपुर
जहां एक तरफ अधीक्षक तुलसीपुर और आशा सावित्री प्रकरण उच्च अधिकारियों के संज्ञान में आ चुका है और इस पर तीन सदस्य टीम गठित कर जांच की जा रही है । जिसकी बात सामने आ रही है। आशाओ ने सीएचसी तुलसीपुर अधीक्षक सुमंत सिंह चौहान पर आरोप लगाया है कि उनके द्वारा अपने पद का बेजा इस्तेमाल और राजनीतिक पकड़ का लाभ लेते हुए इसका गलत इस्तेमाल किया जा रहा है जिससे कहीं न कहीं जांच प्रभावित हो रही है और निष्पक्ष जांच में अवरोध उत्पन्न हो रहा करने की जानकारी दी जा रही है अगर ऐसा होता है तो उनके पद पर बने रहने तक निष्पक्ष जांच संभव नही है की बात आशाओं ने बताइ है। वही आशाओ ने यह भी आरोप लगाया है कि अधीक्षक सुमन्त सिंह चौहान अपने राजनीतिक सहयोगियों के द्वारा लगातार मुझ पर मेरे परिवार पर और गवाह पर नाजायज दबाव बना रहे हैं और लगातार धमकी दिए जाने की बात सामने आ रही है कि तुम्हे नौकरी से निकलवा दूंगा तुम्हारे परिवार को जान से मरवा दूंगा यहां तक कि इसके डर के मारे बच्चे भी स्कूल नहीं जा रहे हैं ।इसके साथ आशाओं का यह भी आरोप है कि लगातार सुमन्त सिंह चौहान के सहयोगी और उनके आदमी हमारे गवाहों को धमकी दे रहे हैं । आशा सावित्री की बात की जाए तो उनके द्वारा यह भी कहना है की अधीक्षक सुमन्त सिंह चौहान शर्कश, दबंग व राजनीतिक खिलाड़ी है और जब तक यहां सीएससी तुलसीपुर में रहेगा तब तक निष्पक्ष जांच और कार्यवाही असम्भव है । इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि मुझ पर फर्जी मुकदमा करवाया गया है जिसमें कहीं न कहीं धन, बल और राजनीतिक संरक्षण की बात सामने आ रही है जिसके चलते मुझ पर फर्जी मुकदमा थाना तुलसीपुर में करवाया गया। जिसको लेकर हमने महिला आयोग को अपनी शिकायत देकर न्याय की गोहार लगाई है । इसके साथ यह भी बताया गया कि मुख्यमंत्री का दूसरा घर होने के बाद भी इस सीएचसी का औचिक निरीक्षण नहीं किया गया है। उसके साथ ही अन्य आशाओं ने भी अधीक्षक के खिलाफ जिला स्वास्थ अधिकारी को सुमन्त सिंह चौहान के खिलाफ शिकायत की है। और उनसे स्पष्ट जांच कर कार्रवाई करने की मांग की है इसमें कहीं न कहीं आशा उनके परिवार और गवाह पर मानसिक दवाव बनाया जा रहा है जिसके चलते उनको यहां से हटाने के बाद ही निष्पक्ष जांच सम्भव है की जानकारी प्राप्त हो रही। जिससे जांच प्रभावित न हो और निष्पक्ष जांच होने के बाद विधिक करवाई की जा सके। जिससे तमाम पीड़ित आशाओं के साथ अन्य लोगों को भी न्याय मिल सके।अब देखना यह है कि इस मामले में स्वास्थ विभाग के जांच टीम के अधिकारियों की क्या रिपोर्ट शासन को दी गई और उसके बाद शासन के निर्देशों का सीएमओ कितना पालन करते है और दबंग व शतिर अधिकारी को बचाने का कार्य करते है य आशा प्रकरण को लेकर इंसाफ करते है।
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