कैसे हो पैथालॉजी सेंटरो पर विभागीय कार्यवाही, जब अवैध पैथालॉजी सेंटरो पर स्वास्थ विभाग के जिम्मेदार है मेहरबान

बिना किसी वैध टेक्नीशियन व चिकित्सक के बेखौफ हो रहा पैथालॉजी का संचालन

 कैसे हो पैथालॉजी सेंटरो पर विभागीय कार्यवाही, जब अवैध पैथालॉजी सेंटरो पर स्वास्थ विभाग के जिम्मेदार है मेहरबान

अनट्रेंड लड़को से लिये जाते ब्लड सेम्पल

बलरामपुर जनपद बलरामपुर के तमाम क्षेत्रो में बिना रजिस्ट्रेशन के सैकड़ों पैथोलॉजी सेंटर धड़ल्ले से चल रहे हैं। जिसमे स्वास्थ्य विभाग की अनदेखी और मौन स्वीकृति से संचालक मालामाल हो रहे हैं तो वही मरीजो को जांच के नाम पर लूट का खेल बेखौफ किया जा रहा जिसमे डॉक्टरों तक कि हिस्सेदारी से इनकार नही किया जा सकता। जबकि ऐसे तमाम जांच सेंटरों पर किसी विशेषज्ञ चिकित्सक के न होने से जांच रिपोर्ट भी भ्रामक होती है।जिससे मरीजो को लाभ के बजाय और हानि का सामना करना पड़ता है और कई बार गलत इलाज के चलते मरीजो की जान तक जाती है ।
 
वही आपको बतादे की इस समय गांव हो या शहर गंदगी और प्रदूषण के कारण हर जगह रोगियों की संख्या बेहिसाब बढ़ रही है। हालत यह है कि शहरों से ज्यादा ग्रामीण इलाकों में लोग बीमारियों की चपेट में आ रहे हैं। इससे गांवों से लेकर कस्बों तक पैथोलॉजी सेंटरों की बाढ़ सी आ गई है। जिसमे नीम हकीम और झोलाछाप भी किसी न किसी जांच के बहाने मरीजों को पैथोलॉजी भेज देते हैं। जंहा हर जांच में उनका भी हिस्सा तय होता है। मरता क्या न करता वाली तर्ज पर मरीज और उनके तीमारदार जांच कराने के लिए मजबूर होते हैं। इससे इन पैथालॉजी सेंटरों पर मरीजों की भीड़ लगातार बढ़ती जा रही है।
 
जबकि अगर स्वास्थ विभाग के डाटा को देखा जाय तो जांच केंद्र के लिए विभाग में तकरीबन एक दर्जन लोगों ने रजिस्ट्रेशन करवा रखा है। और इन्हीं पर विभाग अक्सर छापेमारी कर मात्र खानापूर्ति करता और कागजो में उच्च विभागीय जिम्मेदार को संतुष्ट करता है। बाकी हाथी के दांत खाने के और और दिखाने के और होते है।
 
 विभाग की छापेमारी से तंग एक संचालक ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि हमारे यहां भूल से भी कोई कमी मिल जाए तो कार्रवाई कर दी जाती है जबकि अवैध केंद्रों पर कोई झांकने भी नहीं जाता। विभाग के अफसरों को बताने पर भी कोई कार्रवाई नहीं होती। दूसरे संचालक का कहना था कि सब कमाई का खेल है। जान-बूझकर अवैध केंद्र नजरंदाज किए जाते हैं। इतना ही नहीं अवैध संचालकों को छापेमारी की पहले ही सूचना दे देते हैं। ऐसे सेंटरों पर बोर्ड तक नहीं होता जिससे वे दुकान बंद कर खिसक लेते हैं। यदि कभी पकड़े भी जाते हैं तो ले-देकर उन्हे क्लीन चिट पकड़ा दी जाती है। 
 
जिसके सम्बन्ध में स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों का यह दावा कितना सच है कि लागतार ऐसे पैथालॉजी सेंटर पर विभागीय कार्यवाही की जारही है जब क्षेत्र में कुकुरमुत्ते की तरह इनकी संख्या दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है और ऐसे तमाम पैथोलॉजी सेंटर व जांच केंद्र बेखौफ अपना सेंटर संचालित कर रहे है जिसमे स्थानीय सीएचसी अधीक्षक से लेकर जनपदीय स्वास्थ अधिकारियों के मिलीभगत के बिना सम्भव ही नही और अगर ऐसा नही तो इनपर कब और कौन सी कार्यवाही की जा रही है जबकि कुछ चिन्हित पैथोलॉजी सेंटर को अगर अलग कर दिया जाय जिनका मानक सही और नियमित है तो बाकी कैसे संचालित है जिनका कोई प्रमाण ,मानक ,व अधिकृत टेक्नीशियन व चिकित्सक तक नही है लेकिन जब साहब है मेहरबान तो गधा भी हो जाता पहलावन कि कहावत सही लगती है । इस सम्बंध में सीएमओ बलरामपुर से किसी कारण फोन न लगने से बात नही हो सकी जिससे उनका पक्ष नही मिला

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