अब सरसों की होगी अधिक पैदावार, निकलेगा अधिक तेल
कानपुर शहर में सीएसए ने विकसित की सरसों की नई प्रजाति, देर से बोने पर भी किसानों को मिलेगी अधिक पैदावार।
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कानपुर। विश्वप्रसिद्ध चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय कानपुर के निदेशक शोध डॉ पी के सिंह ने बताया कि विश्वविद्यालय के तिलहन अनुभाग द्वारा सरसों की विलंब से बोई जाने वाली (20 नवम्बर तक) तथा अधिक तेल देने वाली सरसों की गोवर्धन ( केएमआरएल 17 _5) प्रजाति का विकास किया है। इस प्रजाति से किसानों को देर से बोन की दशा में सरसों की बंपर पैदावार मिल सकेगी उन्होंने बताया कि सरसों की जो विकसित प्रजाति गोवर्धन महेश 120 से 125 दिनों में पकड़ तैयार हो जाती है इस प्रजाति में तेल की मात्रा 39.6 फ़ीसदी तक पाई जाती है।
विश्वविद्यालय के प्रोफेसर डॉक्टर महक सिंह ने बताया कि राष्ट्रीय स्तर पर इस प्रजाति ने चेक की तुलना में 4.9 फीसद अधिक उत्पादन दिया है। जबकि उत्तर प्रदेश के 10 विभिन्न जलवायु कृषि क्षेत्र में लगातार 3 वर्षों के परीक्षणों उपरांत राष्ट्रीय चेक वरदान एवं जोनल चेक आशीर्वाद प्रजाति से 7.81% अधिक उत्पादन दिया है। तथा तेल की मात्रा राष्ट्रीय चेकों से 7.4% अधिक है। उन्होंने बताया कि इस प्रजाति का दाना मोटा और औसत वजन 4.8 ग्राम प्रति 1000 दाने हैं।

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