पेपर लीक मामला : ओमप्रकाश राजभर की बढ़ती मुश्किलें 

पेपर लीक मामला : ओमप्रकाश राजभर की बढ़ती मुश्किलें 

पेपर लीक मामले में अब नया मोड़ आ गया है जहां योगी सरकार ने इसके लिए उम्रकैद तक का कानून बना दिया है वहीं ओमप्रकाश राजभर की पार्टी के विधायक वेदीराम की एक वीडियो वायरल हो रहा है जो कि पेपर लीक मामले पर ही आधारित है। इस वीडियो में साफ साफ सुना जा सकता है। इधर इस मामले को लेकर बिहार में एक गिरफ्तारी हो चुकी है। वहीं एनडीए के घटक दल सुभासपा के एक विधायक वेदीराम का नाम आने से मामले में नया ट्विस्ट आ गया है।‌ अब देखना यह है कि वेदीराम पर क्या कार्यवाही होती है। वेदीराम पर पहले भी इस तरह के मामले में आरोप लग चुके हैं। लेकिन उन पर अब तक कोई कार्यवाही नही हुई। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सुभासपा अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर को तलब किया है।
 
ओम प्रकाश राजभर योगी कैबिनेट में मंत्री हैं और सुभासपा के अध्यक्ष हैं और वेदीराम उन्हीं की पार्टी के विधायक हैं। पेपर लीक मामले में उत्तरप्रदेश सरकार की थूथू हो रही है जहां विपक्ष सीधे सरकार पर आरोप लगा रही है वहीं नीट परीक्षा को लेकर परीक्षार्थी भी प्रदर्शन कर रहे हैं। बेलीराम से इस मामले पर एक पत्रकार ने जानकारी चाही तो उन्होंने साफ मना कर दिया कि अभी मेरी तबियत खराब है ब्लड प्रेशर बढ़ा हुआ है मैं कुछ भी बोलने की स्थिति में नहीं हूं। पत्रकार के बार बार आग्रह करने पर भी इस मामले में वह एक शब्द नहीं बोले। 
 
 इधर सुभासपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जो अपने बड़बोले पर के लिए मशहूर है वह भी मीडिया से भागते नजर आ रहे हैं। पेपर लीक मामला एक बहुत ही गंभीर समस्या है क्योंकि यह सीधे-सीधे युवाओं और छात्रों के भविष्य से जुड़ी है। विपक्ष बार बार वेदीराम के वीडियो को लेकर सरकार को घेर रही है। वेदीराम के वीडियो की जांच होनी चाहिए और यदि वह दोषी पाए जाते हैं तो उनके खिलाफ कार्यवाही होनी चाहिए क्योंकि यदि इसमें सरकार ने उन्हें बचाने की कोशिश की तो सरकार से विश्वास में कमी आएगी। कानून एक समान होना चाहिए चाहे वह कोई आम व्यक्ति हो या विशेष। नीट परीक्षा को लेकर छात्र अलग से हंगामा काट रहे हैं।
 
आगे चलकर छात्र तो शांत हो जाएंगे लेकिन यदि उस वीडियो की जांच नहीं हुई तो इसका ग़लत संदेश जनता में चला जाएगा। 2027 में उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव होने हैं और इसके लिए योगी सरकार फूंक फूंक कर कदम रख रही है लेकिन ये सहयोगी दल सरकार की साख पर पलीता लगाने पर जुटे हैं। वैसे भी ओमप्रकाश राजभर का इतिहास सभी जानते हैं लेकिन वह किसी एक के होकर नहीं रहते वह सत्ता के लिए लालायित रहते हैं।‌ और ऐसे में यदि विधायक वेदीराम पर कार्यवाही नहीं होती है तो मामला बिगड़ सकता है।
 
लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी को उत्तर प्रदेश में काफी नुकसान उठाना पड़ा है पिछले लोकसभा चुनाव के मुकाबले इस बार वह लगभग आधी सीटों पर सिमट गई है। यदि 2027 की तैयारी भारतीय जनता पार्टी को अच्छी तरह से करनी है तो इसके लिए सख्त कदम उठाने ही पड़ेंगे। केवल सख्त कदम की घोषणा से कुछ नहीं होगा। एक विधायक के लिए पूरी सत्ता को दांव पर लगा देना भारतीय जनता पार्टी के हित में नहीं होगा। वैसे भी सहयोगी दलों और बाहर से आए व्यक्तियों को ज्यादा तरजीह देने के कारण भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ताओं में रोष व्याप्त है और यह बात भारतीय जनता पार्टी उत्तर प्रदेश के अध्यक्ष ने लोकसभा चुनाव पर अपनी रिपोर्ट में भी लिखा है।
 
उन्होंने तो सीधे सीधे कार्यकर्ताओं पर ही दोष मढ़ दिया है। कि कार्यकर्ताओं कि निरंकुशता के कारण भारतीय जनता पार्टी को नुकसान हुआ है। भारतीय जनता पार्टी को अगर इन सब चीजों से बचना है तो इस तरह के कदम उठाने होंगे। क्यों कि बेरोजगारी का मुद्दा वैसे ही देश में हावी है। ऊपर से यह पेपर लीक के मामले में युवा वर्ग काफी परेशान नजर आ रहा है।
 
वेदीराम का इतिहास भी मीडिया और सोशल मीडिया पर सबके सामने आ चुका है। चूंकि वेदीराम भारतीय जनता पार्टी के विधायक नहीं है भारतीय जनता पार्टी के गठबंधन दल सुभासपा के विधायक हैं इसलिए सुभासपा के अध्यक्ष से बात करना मुख्यमंत्री के लिए आवश्यक हो जाता है और तभी कोई कार्यवाही हो सकती है। सरकार को इस पर अपना रुख स्पष्ट करना चाहिए। जिससे जनता में विश्वास पैदा हो। नहीं तो विपक्षी दल इसको अपने पाले में लेने की पूरी कोशिश कर रहे हैं। और यह मुद्दा यदि विपक्ष को दे दिया गया तो भारतीय जनता पार्टी को परेशानी हो सकती है।
 
उत्तर प्रदेश में एक के बाद एक कई पेपर लीक हुए हैं। केवल छात्रों के परीक्षा केन्द्रों को दूर दूर कर देने से काम नहीं चलेगा। इसके लिए पारदर्शिता बहुत ही आवश्यक है। ओमप्रकाश राजभर बोलने में बड़े ही बेबाक हैं और हर मुद्दे पर वह खुलकर बोलते हैं। लेकिन इस मुद्दे पर वह चुप क्यों हैं उन्हें मीडिया में आकर जल्द से जल्द अपना पक्ष रखना चाहिए। जिससे कि उनकी जो छवि है वह बरकरार रह सके।
 
जितेन्द्र सिंह पत्रकार 

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