आईजी आर एस पर भी शिकायतों का नहीं किया जा रहा निस्तारण

आइजीआरएस पोर्टल से टूट रहा आम जन का विश्वास

आईजी आर एस पर भी शिकायतों का नहीं किया जा रहा निस्तारण

मामला विद्युत विभाग ईसानगर का है जहां तीन माह से चल रही जांच आज भी नहीं बेनतीजा आखिर और कितने दिन तक चलेगी जांच अहम सवाल

लखीमपुर खीरी लखीमपुर खीरी विद्युत विभाग में बैठे जिम्मेदार अफसर और लाइनमैन व जेई विद्युत की मिली भगत से व्यापक स्तर पर भ्रष्टाचार किए जाने के मामले अखबारी सुरखिया बंन रही है। सभी जिम्मेदार एक राय होकर मामले पर पर्दा डालने अथवा जांच चल रही है का राग अलापकर मामले को फाइलों में दफन करने को प्रयासरत देखे जा सकते हैं। आलम तो यहां तक है कि आइजीआरएस पोर्टल पर की जाने वाली शिकायत में भी भ्रामक एवं फर्जी रिपोर्ट लगाकर शिकायतों का निस्तारण करने के साथ-साथ शासन प्रशासन तक को गुमराह कर दिए जाने का मामला चर्चा का विषय बना है। गौरतलव हो कि विकासखंड ईसानगर क्षेत्र के अंतर्गत 11000 विद्युत लाइन का स्थान परिवर्तन वो भी बगैर प्रस्ताव पास कराए तथा बगैर एस्टीमेट बनवाए ही कर दिए जाने का मामला पकड़ा  गया था।
 
सूत्र बताते हैं कि ऊक्त 11000 लाइन  जेई सुधीर कुमार गुप्ता एवं लाइनमैन साहू की मिली भगत से एसडीओ के संरक्षण में लाइन का स्थान परिवर्तन कर दिया गया ।और इसके एबज में व्यापारी से ₹200000 बतौर रिश्वत तय किए जाने की बात जानकारी में आई है ।जिसमें से₹100000 नगद विद्युत सुधीर कुमार गुप्ता को दिए जाने की बात मौर्य द्वारा ऑन कैमरा बताई गई है। शेष एक लाख रुपया लाइनमैन और उनके चहेते व्यक्ति द्वारा लेकर रात के अंधेरे में लाइन बदल दिए जाने के मामले का खुलासा हुआ है ।इसकी कई शिकायत जिला अधिकारी खीरी से लेकर आइजीआरएस पोर्टल पर की गई थी उक्त शिकायत का निष्तारण यह कहते हुए कर दिया गया की जांच टीम गठित कर दी गई है।
 
जांच चल रही है ।जबकि यह जांच टीम शिकायत से पहले ही गठित की जा चुकी थी ।यदि हम जांच टीम द्वारा जांच करें तो आज तीन माह से जांच चल रही है लेकिन नतीजा शून्य दिखाई पड़ रहा है। आखिर कब तक और कितने दिन तक चलेगी जांच अहम सवाल बना हुआ है ।इस यक्ष प्रश्न का उत्तर किसी भी सक्षम अधिकारी के पास ढूंढे नहीं मिल पा रहा है ।शिकायतकर्ता और व्यापारी समेत दर्जनों लोगों द्वारा दी गई जानकारी को सत्य माने तो यह सारा खेल एसडीओ और जेई के संरक्षण में खेला गया शायद यही कारण रहा होगा जो घटना के समय मीडिया को दिए गए उनके वजन में एसडीओ से लेकर एक्सक्त तक ने बताया था कि प्रस्ताव पास हुए हुआ और एस्टीमेट भी बना है यदि इनके संरक्षण में या जानकारी में नहीं था
 
तो इन्होंने कैसे झूठ बोला स्थिति में हुआ प्रस्ताव पास है इसके द्वारा दिए गए में सिद्ध करने को काफी हैं कि एसडीओ को मामले की पूरी जानकारी थी और इनके संरक्षण में खेल खेला गया यही कारण है शायद कि कल सब अपने जैसे एसडीओ और के के पक्ष में खड़े दिखाई पड़ रहे हैं और शिकायतों का फर्जी भ्रामक रिपोर्ट लगाकर इस कारण करते हुए शासन व प्रशासन को गुमराह करके लीपा पोती का खेल खेला जा रहा है देखना अब यह है कब तक पूरी होती है जांच और दोषियों के विरुद्ध होती है कार्यवाही।
 
 

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