मूंगफली की उन्नत कृषि पद्धतियों एवं विपणन व्यवस्था पर प्रशिक्षण का आयोजन
सीतापुर में मूंगफली की सफलता किसानों को राहत
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गन्ने के साथ मूंगफली की खेती से बढ़ी आमदनी
स्वतंत्र प्रभात
सीतापुर वर्ष 2017 से सीतापुर जनपद को उसकी पुरानी पहचान "मूंगफली की खेती" को वापस लाने के लिए कृषि विज्ञान केंद्र कटिया सीतापुर और मूंगफली अनुसन्धान निदेशालय जूनागढ़ गुजरात आपसी सामंजस्य से कार्य कर रहे हैं। जिनके सुखद परिणामों के तहत किसानों को रबी, खरीफ और जायद तीनों ही मौसम में मूंगफली की खेती करने में मिलेगी सफलता।मूंगफली की उन्नत कृषि पद्धतियों एवं विपणन व्यवस्था पर आयोजित प्रशिक्षण कार्यक्रम में कृषि विज्ञान केंद्र कटिया सीतापुर के प्रसार वैज्ञानिक एवं अखिल भारतीय मूंगफली अनुसन्धान परियोजना के समन्वयक शैलेन्द्र सिंह ने अपने अनुभवों को साझा किया।
श्री सिंह ने बताया कि मूंगफली अनुसन्धान निदेशालय जूनागढ़ के साथ इस पहल से पूर्व सीतापुर व आस-पास के निकटवर्ती जनपदों में केवल वर्षा कालीन मूंगफली की खेती का प्रचलन हुआ करता था जबकि अब तकनीकी और प्रजातियों के सही मिश्रण से वसंत कालीन मूंगफली भी पूरी सफलता के साथ की जा रही है और इसका तीव्र विस्तार वसंत कालीन गन्ना के साथ अन्तःफसल के रूप में हुआ है।
श्री सिंह बताते है कि यहां के किसानो का मूंगफली के साथ जुड़ाव व क्षेत्र विस्तार की प्रवल सम्भावना को देखते हुए मूंगफली अनुसन्धान निदेशालय द्वारा वर्ष २०२१ में कृषि विज्ञान केंद्र को अखिल भारतीय मूंगफली अनुसन्धान परियोजना के तहत वोलन्टीयर केंद्र के रूप में नामित किया गया जिसके क्रम में केंद्र के प्रक्षेत्र पर निरंतर परीक्षण व प्रदर्शन कार्य किये जा रहे हैं।
उन्होंने कहा कि अभी किसानो के पास वसंत और खरीफ मौसम के लिए उपयुक्त प्रजातियां हैं लेकिन हम प्रयासरत है कि रबी मौसम में बुवाई के लिए भी एक उन्नत प्रजाति किसानो को दे पायें। कृषि विज्ञान केंद्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक व अध्यक्ष डॉ दया शंकर श्रीवास्तव ने कहा कि सीतापुर के किसानो के लिए मूंगफली के क्षेत्र में बीज उत्पादन कि प्रवल सम्भावना है। उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र में बीज उत्पादन के लिए उपयुक्त मानसून और मिट्टी की गुणवत्ता है, जो कि मूंगफली की उच्च उत्पादकता के लिए आवश्यक है।
इसके साथ ही, जिला प्रशासन द्वारा "सीतापुर मूंगफली" को जिओग्राफिकल इंडेक्स (जी आई टैग) देने की योजना बन रही है। इससे न केवल इस क्षेत्र को विशिष्ट पहचान मिलेगी, बल्कि इसके विपणन में भी अधिक सुगमता आएगी। जी आई टैग की प्राप्ति से स्थानीय उत्पादों को अंतर्राष्ट्रीय बाजार में पहचान मिलेगी, जिससे क्षेत्र के किसानों को बड़ी मात्रा में लाभ होगा।
केंद्र के मृदा वैज्ञानिक श्री सचिन प्रताप तोमर ने बताया कि मूंगफली अनुसन्धान निदेशालय जनगढ़ के साथ कृषि विज्ञान केंद्र का यह साझा प्रयास सीतापुर जनपद के किसानों को नए और उन्नत खेती तकनीकों से परिचित कराने के लिए किया जा रहा है। इसके साथ ही मूंगफली की विपणन व्यवस्था को और भी मजबूत बनाने के लिए केंद्र कई प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित कर रहा है। यह प्रशिक्षण कार्यक्रम कृषि उत्पादकों के लिए मूंगफली की उन्नत खेती के लिए जरूरी ज्ञान एवं कौशल प्रदान कर रहा है ताकि वे नई तकनीकों का उपयोग कर सकें और अपनी उत्पादकता को बढ़ा सकें।
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