हिंडनबर्ग की  रिपोर्ट अडानी पर नहीं भारत पर हमला है

अडानी को बदनाम करने का ये भारत विरोधी एजेंडा अडानी के ऑस्ट्रेलिया में कोल माइन प्रोजेक्ट से शुरू हुआ!

हिंडनबर्ग की  रिपोर्ट अडानी पर नहीं भारत पर हमला है

द वायर ने 2017 में अडानी के ऑस्ट्रेलिया प्रोजेक्ट के बारे में उसके खिलाफ पांच प्रोपोगेंडा लेखों की एक श्रृंखला लिखी है!

स्वतंत्र प्रभात-

अडानी को बदनाम करने का ये भारत विरोधी एजेंडा अडानी के ऑस्ट्रेलिया में कोल माइन प्रोजेक्ट से शुरू हुआ! 2010 में अडानी को ये प्रोजेक्ट मिला था! 2017 ऑस्ट्रेलिया में "350.ओआरजी" के नेतृत्व में कुछ एनजीओ द्वारा अडानी के कोल माइन प्रोजेक्ट का विरोध शुरू हुआ! एनजीओ ने मिलकर "स्टॉप अडानी" नाम का एक ग्रुप बनाया! इस एनजीओ "350.ओआरजी" को "टाइड्स फाउंडेशन" द्वारा भारी फंडिंग की जाती है। 

लेकिन क्या आप जानते हैं कि टाइड्स फाउंडेशन को फंड कौन देता है? इसमें जॉर्ज सोरोस, फोर्ड फाउंडेशन, रॉकफेलर, ओमिडयार और बिल गेट्स के नाम हैं।

भारत में एक एनजीओ नेशनल फाउंडेशन फॉर इंडिया (NFI) है। इससे पहले कि मैं आपको इस एनजीओ के बारे में बताऊं, मैं आपको NFI को फंड देने वालों के नाम बताता हूं। इसमें सोरोस, फोर्ड फाउंडेशन, रॉकफेलर, ओमिड्यार, बिल गेट्स और अजीम प्रेमजी के नाम भी हैं।

अजीम प्रेमजी के नेतृत्व में एक एनजीओ IPSMF शुरू हुआ, जो Altnews, The Wire, The Caravan, The News Minute, आदि भारत विरोधी प्रोपोगंडा समाचार वेबसाइटों को फंड करता है।

"सीमा चिश्ती" "एनएफआई" में मीडिया फेलोशिप सलाहकार हैं। ये द वायर में संपादक हैं। कारवां के लिए आर्टिकल लिखती हैं और वह सीपीआई(एम) नेता सीताराम येचुरी की पत्नी हैं!

"द वायर" का सोरोस, फोर्ड, बिल गेट्स, अजीम प्रेमजी, ओमिडयार और रॉकफेलर द्वारा वित्तपोषित "एनएफआई" के साथ एक विशेष गठजोड़ है।

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द वायर ने 2017 में अडानी के ऑस्ट्रेलिया प्रोजेक्ट के बारे में उसके खिलाफ पांच प्रोपोगेंडा लेखों की एक श्रृंखला लिखी है!

धन्या राजेंद्रन एनएफआई में एक और मीडिया फैलोशिप सलाहकार हैं। ये द न्यूज़ मिनट की सह-संस्थापक हैं, जो IPSMF द्वारा वित्त पोषित है और MDIF के माध्यम से सोरोस से फंडिंग प्राप्त किया है।

इस धान्य राजेंद्रन ने डिजिपब नाम से लोगों और प्रोपोगेंडा वेबसाइटों का एक कार्टेल बनाया है। मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपी, न्यूज़क्लिक के कट्टर कम्युनिस्ट प्रबीर पुरकायस्थ इस कार्टेल के उपाध्यक्ष हैं।

आल्ट न्यूज, कोबरा पोस्ट, न्यूजलॉन्ड्री, द न्यूज मिनट, द वायर, द क्विंट जैसे भारत विरोधी प्रोपोगंडा न्यूज वेबसाइट डिजीपब के फाउंडिंग मेंबर्स है! 

इन लोगों ने अपने प्रोपोगेंडा लेख और ट्वीट के साथ सोशल मीडिया और अपनी वेबसाइटों के माध्यम से अडानी पर हमला शुरू किया। 

अजीत अंजुम, अभिसार शर्मा, साक्षी जोशी, आलोक जोशी जैसे पत्तलकार डिजीपब कार्टेल के व्यक्तिगत मेंबर हैं।

उपरोक्त सभी "डिजिटल शार्पशूटर" हैं जो विदेशी एनजीओ और अपने भारतीय भागीदारों से उन लोगों या संगठनों को टारगेट करने के लिए प्रशिक्षण और धन प्राप्त करते हैं जो राष्ट्रवादी हैं।

अडानी को बदनाम करने के लिए "अडानी वॉच" नामक एक एक्सक्लूसिव वेबसाइट भी बनाई गई है! जिसे एक ऑस्ट्रेलियन एनजीओ बॉब ब्राउन फाउंडेशन चला रहा है!

ये एनजीओ इस वेबसाइट पर अडानी से जुड़ी सारी जानकारियां पब्लिश करता है! यहां तक की भारत विरोधी वामपंथियों के प्रोपोगंडा आर्टिकल भी वेबसाइट पर पब्लिश करता है!

बॉब ब्राउन फाउंडेशन ने बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री को भी रीट्वीट किया है! वही डॉक्यूमेंट्री जो बीबीसी ने मोदी को बदनाम करने के लिए बनाई है, जिसको भारत सरकार ने बैन किया है!

ध्यान देने वाली बात यह है की बॉब ब्राउन फाउंडेशन कांग्रेस और टीएमसी शासित राज्यों में चल रहे अडानी के प्रोजेक्ट पर अडानी को टारगेट नहीं कर रहा!

"न्यूज़क्लिक" के पत्रकार रवि नायर "अडानी वॉच" में योगदानकर्ता हैं। "बीबीएफ" के ट्विटर हैंडल से उसकी लगभग हर पोस्ट का समर्थन (रीट्वीट) किया जा रहा है। 

ये वही नायर है जो अडानी समूह के बारे में अनर्गल पोस्ट लिखने के लिए कथित तौर पर अडानी समूह द्वारा मानहानि के मुकदमे का सामना कर रहा है।

बीबीएफ के सीईओ "स्टीवन चाफर" अतीत में ग्रीनपीस और एमनेस्टी (ऑस्ट्रेलिया शाखा) से जुड़े रहे हैं। संयोग से, भारत में इन दोनों एनजीओ को कई कानूनों के उल्लंघन के लिए प्रतिबंधित कर दिया गया है।

ग्रेटा को टूलकिट में भी अडानी और अंबानी को ही टारगेट किया गया था! इन्ही दोनो को क्यों टारगेट किया जा रहा है ? इन्हे टारगेट करके किसको फायदा होगा ?

ये एक 5G इन्फॉर्मेशन वॉर है! अडानी ने चीन के मुंह से श्रीलंका का पोर्ट छीन लिया, वही पोर्ट जिसका उपयोग चीन भारत को हिंद महासागर में घेरने के लिए करने वाला था! अडानी अंबानी के कई प्रोजेक्ट है जिसका सीधा कनेक्शन भारत की आर्थिक प्रगति और सुरक्षा से है! ये दोनो उद्योगपति अकेले लाखों लोगों को सीधा रोजगार दे रहे है! दूसरे देशों में ये दोनो उद्योगपति चीन और अन्य देशों की दिग्गज कंपनियों को चुनौती दे रहे हैं!

हिंडनबर्ग ने वेल प्लांड तरीके से अडानी को टारगेट किया! जब अडानी का एफपीओ आने वाला था ठीक उसी वक्त एक फर्जी रिपोर्ट प्रकाशित की! ये एक शॉर्ट सेलिंग कम्पनी है, यूएस में इसपर शॉर्ट सेलिंग करके कई कम्पनियों को नुकसान पहुंचाने को लेकर अपराधिक जांच चल रही है! इसके अकाउंट तक यूएस एजेंसियों ने फ्रीज कर रखे है! ऐसी कंपनी जिसकी कोई विश्वसनीयता नहीं है उसकी एक फर्जी रिपोर्ट पर भारत विरोधी तत्व लहंगा उठा के नाच रहे है!

अडानी द्वारा एनडीटीवी खरीदने के बाद बहुत से भारत विरोधी प्रोपोगंडा धारी पत्तलकार बेरोजगार हो गए है! कुछ दिन पहले रवीश कुमार भी अमेरिका गया था! अडानी समूह को बदनाम करने का हिंडनबर्ग षड्यंत्र उसी दौरान रचा गया होगा!

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