कोरोना संकट : व्यवस्था और प्रबंधन की चुनौतियाँ

कोरोना संकट : व्यवस्था और प्रबंधन की चुनौतियाँ

आज पूरा विश्व कोरोना संकट के बुरे दौर से गुजर रहा है। कोरोना संक्रमण का वर्तमान में कोई स्थाई और संतोषजनक उपचार न उपलब्ध होने के कारण यह रोग वैश्विक महामारी का रूप धारण कर चुका है। भारत जैसे बड़ी जनसंख्या वाले देश के लिए यह एक बहुत बड़ी चुनौती है। भारतीय गणराज्य में भाषा,

आज पूरा विश्व कोरोना संकट के बुरे दौर से गुजर रहा है। कोरोना संक्रमण का वर्तमान में कोई स्थाई और संतोषजनक उपचार न उपलब्ध होने के कारण यह रोग वैश्विक महामारी का रूप धारण कर चुका है। भारत जैसे बड़ी जनसंख्या वाले देश के लिए यह एक बहुत बड़ी चुनौती है। भारतीय गणराज्य में भाषा, दल, राज्य और भौगोलिक परिवेश की विविधता के चलते केंद्र और राज्य सरकारों के बीच समन्वय व सहयोग स्थापित कर समाधान की दिशा में आगे बढ़ना एक बड़ी उपलब्धि होगी।

वैश्विक महामारी और उसके दुष्प्रभाव के परिप्रेक्ष्य में यह निश्चित ही कहा जा सकता है कि केंद्र और राज्य सरकारों के बीच समन्वय व सहयोग के चलते हमारी स्थिति समाधान कारक है। कोरोना संक्रमण के दुष्प्रभाव के कारण लॉकडाउन के चलते भारत में सार्वजनिक वितरण प्रणाली, शिक्षा, डाक, स्वास्थ्य, आवागमन, कृषि, उद्योग आदि सेवाएं बुरी तरह प्रभावित हुई है जिसके कारण देश में व्यापक रूप से व्यवस्था और प्रबंधन की चुनौती का सामना करना पड़ रहा है। देश में रेल, बस और हवाई सेवा पर रोक लगाने के बाद सार्वजनिक वितरण प्रणाली मंद पड़ने के चलते लोगों को बहुत ही कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है।

किराना और सब्जियों की दुकानों पर लोगों की बढ़ती भीड़ संक्रमण की आशंका पैदा करती है। प्रतिदिन कमाकर जीवन यापन करने वाले मजदूरों को रहने एवं भोजन की समस्या का सामना करना पड़ रहा है। सरकारी तंत्र और स्वयं सेवी संगठनों द्वारा नियमित रूप से भोजन एवं आवास की व्यवस्था की जा रही है परंतु प्रबंधन की चुनौती का सामना नियमित रूप से करना पड़ रहा है। किराना और सब्जियों की दुकानों तथा महानगरों की झुग्गियों में सामाजिक एवं वैयक्तिक दूरी की कल्पना धूमिल पड़ती नजर आ रही है। विद्यार्थियो एवं शिक्षा विभाग के समक्ष शेष विषयों की परीक्षा आयोजित करा अगले सत्र के लिए प्रवेश सुनिश्चित करने की चुनौती चिंता का विषय बनी हुई है। वर्तमान कोरोना संकट के कारण अन्य बीमारियों से ग्रस्त लोगों को स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है।

आवागमन पर रोक के चलते कैंसर, रक्तचाप और डायबिटीज के मरीजों के समक्ष शीघ्र एवं उचित उपचार न मिल पाने की त्रासदी समाज और प्रशासन के लिए चिंता का विषय है। उद्योग जगत से जुड़े लोगों खासतौर पर मजदूरों और उनके परिवारों पर रोजी-रोटी की समस्या पैदा हो गई है। बाजार समितियों के बंद होने से किसानों के सामने उपज भंडारण की समस्या के साथ-साथ बेच न सकने का संकट पैदा हो गया है। मानसून से पहले खेतों को अगली फसल हेतु तैयार करने के लिए पैसों के साथ बीज न खरीद सकने की समस्या पैदा होती दिखाई दे रही है। कोरोना संक्रमण से पैदा संकट के चलते भारतीय अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने में अर्थ तंत्र से जुड़े लोगों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ सकता है। संकट के इस दौर में सरकार कुछ कठोर कदम भी उठा सकती है।

सांसदों और विधायकों के वेतन में कटौती के साथ ही केंद्र सरकार के कर्मचारियों के भत्तों में कमी होना निश्चित है। स्थानांतरण एवं प्रमोशन प्रक्रिया में भी देरी होने की बात को नकारा नहीं जा सकता है। सरकार को आने वाले समय में सरकारी खर्चों में भारी कटौती का कदम उठाने की जरूरत पड़ सकती है। गैर जरूरी विदेश यात्राओं को टालने के प्रयास भी देखने को मिल सकते हैं। कुल मिलाकर कोरोना संकट के चलते व्यवस्था और प्रबंधन की चुनौती का सामना करने के लिए केंद्र और राज्य सरकारों के साथ-साथ देश के नागरिकों को मिलजुलकर संभावित मार्ग की और आगे बढ़ना होगा तथा आयात की जाने वाली वस्तुओं को लेकर आत्मनिर्भरता की दिशा में कार्य करना होगा।
-गजेंद्र कुमार घोगरे

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